Myth About Periods : महिलाओं को पीरियड्स को लेकर हिंदू समाज में आज भी कई मिथक प्रचलित हैं, जिसमें से एक है कि महिलाओं को पीरियड्स इंद्र देव की गलती की वजह से मिली यातना है. 


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पीरियड्स को लेकर भागवत पुराण में बतायी गयी पैराणिक कथा कुछ इस प्रकार से हैं. एक बार गुरु वृहस्पति इंद्र देव से नाराज हो गये थे. इसी समय का फायदा उठाते हुए असुरों ने देवताओं पर हमला कर दिया.


इंद्रलोक पर अब असुरों का राज था. परेशान इंद्रदेव ने गुरु वृहस्पति से मदद मांगी तो गुरु वृहस्पति ने किसी ब्रह्मज्ञानी की अथक सेवा करने की सलाह इंद्रदेव को दे दी.


इंद्रदेव में एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी शुरू कर दी. इस ब्रह्मज्ञानी की मां असुर थी. ये इंद्रदेव को पता नहीं था. जो भी सामग्री ब्रह्मज्ञानी को वो चढ़ाते थे वो असुरों के पास चली जाती थी और इंद्रदेव को पूजा का फल नहीं मिलता था. Transgender Facts : जूते चप्पल मारकर होता है किन्नर का अंतिम संस्कार, जिंदगी भर के गम के बाद मौत और बदतर


एक दिन इंद्रदेव को ये ज्ञात हुआ कि ब्रह्मज्ञानी की मां ही असुर है तो वो क्रोधित हो गये और गुस्से में ही ब्रह्मज्ञानी की हत्या कर दी. अब इंद्रदेव पर ब्रह्महत्या का पाप चढ़ गया. 


जहां भी इंद्र जाते एक ब्रह्म राक्षस उनके पीछे चला आता. परेशान इंद्रदेव ने एक फूल में चरण ली और वहां छिपकर भगवान विष्णु की आराधना की. कई सालों के तप के बाद भगवान विष्णु ने प्रकट होकर इंद्रदेव को इस पाप से मुक्ति का रास्ता सुझाया. 


भगवान विष्णु ने कहा कि अगर इंद्रदेव इस पाप को वृक्ष, धरती,जल और स्त्री में बराबर बांट दें तो पाप से मुक्ति मिल जाएगी. पापा से मुक्ति का मार्ग सुनकर इंद्रदेव अब इन चारों के मनाने की कोशिश में जुट गए.


वृक्ष, धरती,जल और स्त्री, इंद्रदेव की बात मान गये लेकिन बदले में एक-एक वरदान मांगा. वृक्ष को अपने आप जीवित होने का वरदान मिला. धरती को किसी चोट का असर नहीं होने का वरदान मिला. Transgender Facts : एक रात की शादी और अगले दिन खुद विधवा हो जाते हैं किन्नर


वहीं जल को किसी भी चीज को पवित्र करने का वरदान मिला. अंत में स्त्री ने जब इंद्रदेव के पापा का एक चौथाई हिस्सा ग्रहण किया तो उसे मासिक धर्म की यातना मिली. इसके बदले स्त्री को वरदान मिला कि वो पुरुषों के मुकाबले काम का कई गुना ज्यादा आनंद उठा पाएंगी.


भागवत पुराण के अनुसार तब से हर महीने स्त्रियों को मासिक धर्म होता है और इस दौरान स्त्रियां देवताओं की पूजा अर्चना नहीं करती हैं. ये एक पौराणिक कथा है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. 


मासिक धर्म एक महिला के शरीर में होने वाली जैविक प्रक्रिया है जो गर्भधारण करने के लिए जरूरी है,इससे महिलाएं स्वस्थ्य रहती है .