Jodhpur: पूरे देश में स्टील मैन ऑफ इंडिया के नाम से अपनी पहचान बना चुके सूर्यनगरी जोधपुर के इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य अब एक और अजूबा करने जा रहे हैं. कोटा में चल रहे " चंबल रीवर फ्रंट प्रोजेक्ट" पर विश्व की सबसे बड़ी घंटी लगाने का काम किया जा रहा है. इससे पहले मास्को और चीन ने यह प्रयास किया था लेकिन वह पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था.  देवेंद्र कुमार आर्य अब तक करीब 160 प्रोजेक्ट को देश और विदेश में लगा चुके है, जो करीब 4 से 5000 करोड़ के थे.


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अपने जीवन का सबसे कम बजट का प्रोजेक्ट अब कोटा में करने जा रहे है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके द्वारा बनाई जा रही घंटी तीन नए विश्व रिकॉर्ड बनाएगी.
इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि चंबल रिवर फ्रंट पर विश्व का आठवां अजूबा दुनिया की सबसे बड़ी घंटी का निर्माण किया जा रहा है. इस एक कलाकृति में 3 गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनेंगे. 


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संपूर्ण विश्व में दो बड़े घंटे है. सबसे बड़ी घंटी 8.2165 मीटर की है जो चाइना (चीन) में है, दूसरी घंटी 8x6.6 मीटर की मास्को रूस में है. यह दोनों घंटियां अलग-अलग टुकड़ों में बनी है जिसको बाद में जोड़ा गया. इसके बावजूद चाइना की घंटी को लटकाते समय उसका एक टुकड़ा टूट गया जो अभी तक टूटा हुआ है. वहीं मास्को वाली घंटी लटकाई ही नहीं जा सकी.


अब कोटा शहर में इस असाध्य कार्य को संभव किया जा रहा है. चंबल रिवर फ्रंट पर जहां ''स्टील मैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य विश्व की सबसे बड़ी घंटी बना रहे हैं. यह घंटी 8.5 म 9.25 मीटर की होगी और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह रहेगी कि यह दुनिया की एकमात्र और सबसे बड़ी सिंगल पीस कास्टिंग होगी.


1. दुनिया की सबसे भारी सिंगल पीस कास्टिंग (ढलाई) ''नॉन फेरस''
2. विश्व की सबसे बड़ी घंटी
3. विश्व की पहली जॉइंट लेस चेन (इन एज कास्ट कंडिशन)


कोटा के चंबल रिवर फ्रंट में एक साथ तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली ये एकमात्र कलाकृति होगी जिसे देखने के लिए दूर-दूर से देशी विदेशी पर्यटक कोटा आएंगे. ये कलाकृति कोटा को टूरिस्ट हब बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी. इस घंटी का वजन करीब 57 हजार किलो रहेगा. घंटी का रंग भी अपने आप में बेमिसाल है, इसका केमिकल कंपोजिशन इस प्रकार से सेट किया गया है कि ये गोल्डन लुक का अहसास कराएगी.


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घंटी का ये रंग 15 सालों तक यथावत बना रहेगा. 15 वर्षों तक इसकी चमक बरकरार रहेगी. इसके बाद इस पर पॉलिश करने से यह वापस चमक जाएगी. इस घंटी की उम्र 5000 साल की है, मतलब यह घंटी हर मायने में बेमिसाल होगी.


रात के समय घंटी को बजाने पर इसकी ध्वनि तरंगे 7 से 8 किलोमीटर तक सुनाई देगी. यह घंटी जमीनी सतह से 70 फीट ऊंचे स्टैंड पर लटकाए जाएगी. घंटी ब्रांज मेटल में ढाली जाएगी. घंटी की ढलाई का कार्य भी चंबल रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगा कर किया जा रहा है. करीब 150 दिनों में इस प्रोजेक्ट को पूर्ण कर दिया जाएगा. वहीं इस घंटी के नीचे एक साथ करीब 600 लोग खड़े हो सकेंगे. अगर बरसात की सीजन होती है और पर्यटक वहां होते हैं तो बारिश से भी उनका बचाव हो सकेगा.


Reporter: Arun Harsh