Dussehra 2024: रावण की शादी का मंडप अभी भी मौजूद, जानें राजस्थान के किस शहर में लंकेश ने लिए थे मंदोदरी के साथ 7 फेरे

Ravan Marriage Place: राजस्थान के जोधपुर में रावण का ससुराल स्थित था, ऐसा माना जाता है. शहर के मंडोर रेलवे स्टेशन के सामने एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां रावण और मंदोदरी की शादी हुई थी. यह जगह आज भी मौजूद है और इसे रावण के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है.

अंश राज Sun, 29 Sep 2024-11:04 am,
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मान्यता है कि रावण ने इसी स्थल पर मंदोदरी के साथ फेरे लिए थे और यह स्थल उनके विवाह की याद दिलाता है. यह स्थल जोधपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.राजस्थान के जोधपुर में स्थित मंडोर को रावण का ससुराल माना जाता है, जहां रावण और मंदोदरी की शादी हुई थी. यह जगह आज भी मौजूद है और रावण की चवरी के नाम से जानी जाती है. 

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जोधपुर के कई समूह मंडोर को रावण का ससुराल मानते हैं और कहते हैं कि मंदोदरी मंडोर की निवासी थीं. हालांकि, इस दावे का कोई पौराणिक या ऐतिहासिक आधार अभी तक नहीं मिला है, लेकिन यह स्थल जोधपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है.

 

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जोधपुर के श्रीमाली ब्राह्मण समुदाय के दवे गोधा खांप के लोग रावण की पूजा अर्चना करते हैं और विजयदशमी पर्व नहीं मनाते. इसके बजाय, वे रावण दहन के बाद स्नान करते हैं और कुछ परिवार नवीन यज्ञोपवीत धारण करते हैं. यह परम्परा पीढ़ियों से चली आ रही है, जैसा कि दिनेश दवे और अजय दवे ने बताया कि यह परम्परा उनके दादा-परदादा के समय से ही चली आ रही है. यह एक अनोखी और विशेष परम्परा है जो रावण के प्रति सम्मान और श्रद्धा को दर्शाती है.

 

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जोधपुर में स्थित रावण की चवरी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो मंदोदरी और रावण से जुड़ा हुआ है. यह स्थल पर्यटन विभाग के अधीन है और देशी-विदेशी पर्यटक यहां आकर इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को देखते हैं.हालांकि, शास्त्रों और पुराणों में रावण की चवरी का कोई उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन यह स्थल अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है. इस स्थल के पास ही एक एल-शेप में निर्मित बावड़ी है, जिसे सुमनोहरा बावड़ी कहा जाता है. कहा जाता है कि इसका निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ था, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाता है.

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मंडोर में स्थित रावण मंदोदरी विवाह की चवरी में अष्ट माता और गणेश मूर्ति स्थापित हैं. मंडोर का इतिहास चौथी शताब्दी से जुड़ा है, जब यहां नागवंशी राजाओं का राज्य था. नागादडी याने नागाद्री जलाशय और भोगीशेल पहाड़ियां इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं. किवदंती और दंत कथाओं के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी मंडोर की राजकन्या थी और इसी स्थान पर उनका विवाह हुआ था. जोधपुर में रावण का एक मंदिर भी है, जहां साढ़े छह फीट लंबी और डेढ़ टन वजनी रावण की प्रतिमा स्थापित है, जो छीतर पत्थर से बनाई गई है. मंदिर के सामने मंदोदरी की मूर्ति भी है. यह स्थल राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रावण और मंदोदरी की कहानी को जीवंत बनाता है.

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मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर, जिसे मांडव्यपुर, मंडोरा और मंडोवरा भी कहा जाता है, का रावण से संबंध होने की बात शोध का विषय है. लेकिन यह तथ्य है कि भोगी शैल पहाड़ी पर मांडव ऋषि ने तपस्या की थी, जिसके कारण इस स्थान का नाम मांडवपुर पड़ा. मांडव पुर का नाम बाद में मंडोवर और फिर मंडोर हो गया . कहा जाता है कि मांडव्य ने राजपाट त्यागकर यहां पर तपस्या की थी. मंडोर उद्यान जोधपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसमें देवताओं की साल, जनाना महल, एक थंबा महल, जोधपुर और मारवाड़ के महाराजाओं के देवल और चौथी शताब्दी का एक प्राचीन किला भी है .

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