चिकित्सकों ने बताई असाध्य बीमारी तो युवक ने बाबा रामदेव से मांगी मन्नत, अब 19 वीं बार पैदल जा रहा रामदेवरा
युवक ने बीमारी के ठीक होने पर पैदल यात्रा करने की मन्नत मांगी. इसके बाद से वापस अभी तक बीमारी को लेकर किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है. वह 19 वीं पैदल यात्रा करते हुए लोहावट पहुंचा.
Lohabat: सच्चे मन से ईश्वर के प्रति श्रद्धा व भक्ति के भाव रखें, तो ईश्वर भी भक्त की मन्नत पूरी करते हैं. ऐसा ही एक वाक्या सामने आया है करौली जिले के बिजलपुर निवासी का. जैसलमेर जिले में रामदेवरा में स्थित लोक देवता बाबा रामदेव की समाधी की 19 वीं वार पैदल यात्रा कर रात को लोहावट पहुंचा. सीने में गांठ और पेट में दर्द रहने के बाद उसने चिकित्सकों से जांच करवाई. उसमें चिकित्सकों ने उसको एक असाध्य रोग होना बताया. उसके बाद उसने बाबा रामदेव से मन्नत मांगी, तब से अभी तक वापस बीमारी की कोई पीड़ा उसके नहीं हुई. उसके बाद से वह प्रतिवर्ष रामदेवरा की पैदल यात्रा करता है.
लोक देवता बाबा रामदेव के प्रति श्रद्धा जताई
जानकारी के मुताबिक नरेश पुत्र बाबूलाल बैरवा निवासी बिजलपुर जिला करौली जब 17 वर्ष की आयु का था. उसके सीने और पेट में दर्द की लगातार शिकायत बनी रहती थी. उसने वहां पर चिकित्सकों से जांच करवाने पर उसको एक असाध्य की बीमारी होना बताया तथा हैदराबाद में इसका ऑपरेशन और इलाज करवाने की सलाह दी. असाध्य रोग का सुनते ही उसके एवं उसके परिवार वालों के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसके बाद उसने लोक देवता बाबा रामदेव के प्रति श्रद्धा जताई तथा बीमारी के ठीक होने पर पैदल यात्रा करने की मन्नत मांगी. इसके बाद से वापस अभी तक बीमारी को लेकर किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है. वह 19 वीं पैदल यात्रा करते हुए लोहावट पहुंचा.
लॉकडाउन में भी की पैदल यात्रा
वैश्विक महामारी कोराना वायरस से पिछले दो सालों में राज्य एवं देश में लॉकडाउन लगा हुआ था, लेकिन उसने अपनी पैदल यात्रा को जारी रखा. लॉकडाउन के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहने के बाद भी दर्शन करने पहुंचा तथा उसने मंदिर के आगे मत्था टेककर यात्रा पूर्ण की.
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30-40 किलोमीटर प्रतिदिन चलता है पैदल
नरेश बैरवा ने बताया कि इस माह में 1 जून से घर से पैदल यात्रा शुरू की. वह प्रतिदिन 30 से 40 किलोमीटर पैदल चलता है. पिछले 18 वर्षों से लगातार मई और जून माह में वह पैदल यात्रा करता है. सूरज की तपिश से तपती सड़कें एवं भीषण गर्मी के दौर में भी उसने अपनी यात्रा को नहीं रोका. कई बार उसके परिजन भी पैदल यात्रा में शामिल होते हैं. रास्ते में कई लोग उसके भोजन, पानी की व्यवस्थाएं करते है.
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