Mathania mirch jodhpur Rajasthan : राजस्थान में जोधपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर है मथानिया. मथानिया की लाल मिर्च न सिर्फ राजस्थान में बल्कि उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और हरियाणा पंजाब से लेकर दिल्ली तक प्रसिद्ध है. अब तो दुनिया के कई हिस्सों में भी इसकी डिमांड बढ़ने लगी है. इसका सुर्ख लाल रंग और तीखा स्वाद. पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर से लेकर जैसलमेर और जालोर पाली और सिरोही के साथ नागौर बीकानेर और जोधपुर जिले के किसी भी गांव में मिर्च के नाम आपको उन घरों में कंट्टे में भरी हुई लाल मिर्च जरुर नजर आएगी. करीब 6 इंच लंबी लाल मिर्च को लोग जरुरत के हिसाब से धूप में रखकर उसकी नमी को दूर करते है और फिर पीसकर बर्तनों में पैक करते है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


बाड़मेर जैसलमेर और जोधपुर जिलों के साथ नागौर पाली और बीकानेर तक मथानिया गांव की पहचान ही इस लाल मिर्च के कारण बनी हुई है. मिर्च की साइज को लेकर कहा जाता है कि जितनी लंबी मिर्च उतना ही तीखा स्वाद. यहां हरी मिर्च को लाल होने तक पौधों में ही रखा जाता है. जब मिर्च लाल हो जाती है तो उसे पौधों से तोड़कर अलग किया जाता है. फिर खेतों में इसे सुखाया जाता है. सर्दियों में मथानिया के ज्यादातर खेत आपको लाल चुनर ओढ़े ही नजर आएंगे. दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने भी यहां आकर ये शोध किया है कि आखिर मथानिया की मिर्च में इतना तीखापन क्यों होता है. 


युवा का प्रयोग, 12 इंच की मिर्च



कोरोनाकाल में जोधपुर के तिंवरी निवासी विकास खिंची ने कोरोना काल में एक प्रयोग किया. इतिहास बन रही मथानिया की लाल मिर्च को दुनिया में फिर से पहचान दिलाने के लिए उसने गुजरात के हिम्मतनगर से मिर्च के बीज लिए. इसके बाद ड्रिप सिंचाई पद्धति के सहारे एक एकड़ जमीन पर साढ़े 7 टन मिर्च का उत्पादन किया और मिर्च की लंबाई का भी रिकॉर्ड बनाया. मथानिया की मिर्च औसतन 6 इंच लंबी मानी जाती है लेकिन विकास खिंची के इस प्रयोग से रिकॉर्ड 12 इंच लंबी मिर्च पैदावर में कामयाब रहे. ये India Book of Records में भी दर्ज किया गया था.