Union Budget 2025: केन्द्रीय बजट को लेकर उद्यमियों को कई उम्मीदें, कॉ-ऑपरेटिव टैक्स, पसर्नल टैक्स में रियायत, हैंडी क्राफ्ट को राहत की चाहत
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Union Budget News: केंद्रीय बजट से उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें! उद्यमियों ने लघु उद्योगों के लिए टैक्स स्लैब में राहत, जीएसटी प्रक्रिया में सुधार और ऋण व्यवस्था को सरल बनाने की मांग उठाई. जोधपुर की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री संकट में, विशेष पैकेज की दरकार.
Rajasthan News: केंद्रीय बजट 2025 को लेकर उद्योग जगत की निगाहें सरकार की नीतियों पर टिकी हुई हैं. विभिन्न उद्योग क्षेत्रों से जुड़े उद्यमियों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करते हुए इस बजट से कई महत्वपूर्ण उम्मीदें जताई हैं. उद्यमियों का मानना है कि सरकार पिछले बजटों में उद्योग क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है, लेकिन लघु उद्योगों के उत्थान के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता है.
लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के विकास के लिए कॉरपोरेट टैक्स में छूट देना बेहद जरूरी है. उद्यमियों का सुझाव है कि वर्तमान में तीन टैक्स स्लैब की जगह केवल दो स्लैब रखे जाएँ, जिससे छोटे उद्योगों को राहत मिल सके और वे अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें. इससे व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी और नए निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
कई उद्योग ऐसे हैं जिनका कच्चा माल छोटी इंडस्ट्रीज में तैयार किया जाता है, लेकिन जीएसटी की जटिल प्रक्रिया के कारण उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ सही समय पर नहीं मिल पाता. इसका सीधा असर छोटे व्यापारियों की पूंजी पर पड़ता है और वे आर्थिक दबाव में आ जाते हैं. उद्योग जगत सरकार से जीएसटी प्रणाली को सरल और तेज़ बनाने की मांग कर रहा है, जिससे टैक्स रिबेट जल्दी मिल सके.
जोधपुर को भारत का हैंडीक्राफ्ट हब माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. निर्यात में गिरावट, कच्चे माल की बढ़ती लागत और वित्तीय सहायता की कमी से यह सेक्टर जूझ रहा है. ऐसे में, हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री को विशेष राहत पैकेज देने की जरूरत है, जिससे यह क्षेत्र फिर से अपनी मजबूती पा सके.
लघु उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए बैंकिंग प्रणाली को उद्योगों के अनुकूल बनाना आवश्यक है. वर्तमान में लघु उद्योगों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है. सरकार को इस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, जिससे छोटे उद्यमियों को बिना किसी परेशानी के वित्तीय सहायता मिल सके.
व्यक्तिगत करदाताओं और व्यापारियों के लिए आयकर में राहत देने की भी मांग उठ रही है. उद्योग जगत चाहता है कि सरकार टैक्स स्लैब में छूट देकर लघु उद्यमियों को अधिक आर्थिक स्थिरता प्रदान करे. इससे निवेश और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी, जिससे समग्र आर्थिक विकास को गति मिलेगी.
सरकार आगामी बजट में इन महत्वपूर्ण मांगों पर क्या निर्णय लेगी, यह देखना दिलचस्प होगा. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उद्योग जगत इस बार सरकार से ठोस और प्रभावी राहत की उम्मीद लगाए बैठा है.
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