Jodhpur: राजस्थान के जोधपुर ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों को रोजगार देने के लिए चलाई जा रही भारत की सबसे बड़ी महात्मा गांधी मनरेगा योजना (Mahatma Gandhi MNREGA Scheme). अब भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है. लोगों को रोजगार देने के नाम पर जॉब कार्ड लेकर उनकी फर्जी हाजिरी भर के 70 और 30 फीसदी का खेल सरेआम खेला जा रहा है. लाखों के घोटालों का खेल ग्राम स्तर के अधिकारी जिसमें सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी, मेट सहित अन्य लोग बेखौफ होकर खेल रहे है. 


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भ्रष्टाचार के इन रुपये का बंटवारा भी अनोखे अंदाज में होता है. ग्राम स्तर के कार्मिकों का 70 परसेंट है. वही श्रमिक जिसको घर बैठे मजदूरी दी जाती है वह 30 परसेंट है ताकि श्रमिक शिकायत न कर सके. 


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ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जोधपुर जिले के शेरगढ़ विधानसभा के ग्राम पंचायत भालू अनूपगढ़ में सामने आया है. जिसमें एक महिला जो प्रसूति के लिए अस्पताल में भर्ती है. उसी वक्त उसी दिन उसको मनरेगा श्रमिक के रूप में मस्टररोल में दर्शा कर उसके खाते में रुपए जमा करवाए गए और अपनी हिस्सेदारी पंचायत के अधिकारियों द्वारा ली गई. सजग स्थानीय नागरिक पुखराज ने ऑफलाइन और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई है. मामला भालू अनूपगढ़ के राजस्व गांव रंकेश्वर नगर का है. जिसमें मनरेगा के तहत नई नाडी का कार्य चल रहा है. जिसमें 16 -08- 2021 से 31-08- 2021 का पखवाड़ा चलाया गया. जिसमें मेट संगाराम और गोपाराम थे. 


इसी पखवाड़े में पप्पू देवी पत्नी रामाराम को श्रमिक के रूप में दर्शाया गया है और उसकी उपस्थिति लगाकर कार्यस्थल पर मौजूद बताया गया. जबकि 20-08-2021 को पप्पू देवी के डिलीवरी होने के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोमू में 20-08- 2021 को भर्ती हुई थी और 21-08-2021 को डिलीवरी हुई थी. जिसमे लड़के को जन्म दिया और 23-08-2021 को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी तो वह श्रमिक के रूप में कैसे कार्य स्थल पर उपस्थित रही. पप्पू देवी के खाते में मजदूरी के 28 अक्टूबर को दो हजार रूपये खाते में जमा हुए तो मेट ने ग्राम स्तर की हिस्सेदारी मांगी और एक हजार रूपये लिए और दो सौ रुपए पहले लिए.


आवेदन और अधिक माप चढ़ाने के लिए इस प्रकार दो हजार में से 1200 कार्मिकों ने और 800 रूपये श्रमिक को देने का खेल चल रहा है. पड़ताल में ये भी सामने आया की कई ग्रामीण दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे है. मगर यहां मनरेगा में श्रमिक दर्शा रखे है. इस तरह से यह गोरखधंधा ग्राम पंचायतों में चलाया जा रहा है तथा सरकार को लाखों की चपत लगाई जा रही है. ग्राम सेवक से बात करने पर जांच कमेटी का गठन किया जाना बताया.


समिति स्तर के अधिकारियों की भी संदिग्ध भूमिका 
मौके पर कार्य निरीक्षण के लिए JDA कनिष्ठ अभियंता नियुक्त किए गए हैं तथा वह समय-समय पर किए गए कार्य का माप लेकर मजदूरी चढ़ाते हैं पर देखा जा रहा है कि हर वर्ष प्रत्येक ग्राम पंचायत में दर्जनों नाडी खुदाई, मेड़बंदी, पौधारोपण जैसे कार्य मनरेगा के तहत किए जाते हैं. मगर आज तक धरातल में कार्य के नाम पर मात्र ओपचारिकताएं नजर आती है. सरकार के लाखों करोड़ों रुपए इस गोरखधंधे में भेट चढ़ जाते हैं.


Reporter: Sanjay Sharma