Phalodi: विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के उपलक्ष्य में दूसरा दशक परियोजना द्वारा फलोदी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. चार माही आवासीय परीक्षा मार्गदर्शन शिविर में पढ़ रही किशोरियों को इस दिन का महत्व बताया गया. यह भी बताया गया कि हर माह 28 दिन के अन्तराल में मासिक धर्म आने के कारण 28 मई को इस दिन के रूप में चुना गया. इस दौरान किशोरियों ने संकल्प लिया कि आज से वह खुलकर बोलेगी कि मैं पीरियड्स में हूं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दूसरा दशक द्वारा चलाए जा रहे स्वस्थ्य मां अभियान के अन्तर्गत किशोरियों के साथ समय-समय पर माहवारी से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाती है. इसके फलस्वरूप आज के आयोजन में किशोरियों ने माहवारी के दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं जैसे पेट दर्द, कमर दर्द, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना या अधिक लगना, बैचेनी, बाहर जाने से कतराना आदि के बारे में खुलकर विचार व्यक्त किए.


परियोजना निदेशक मुरारी लाल थानवी द्वारा मासिक धर्म से जुड़ी जटिलताओं और परेशानियों के बारे घर में पारिवारिक सदस्यों के साथ खुलकर चर्चा करने, खासकर पुरूष सदस्यों से बात करने और उन्हें भी माहवारी संबंधित समस्याओं से अवगत कराने की जरूरत को स्पष्ट किया गया जिससे पुरुषवर्ग भी इस तकलीफ के प्रति अधिक संवेदनशील हो सके.


ओपन स्कूल के शिक्षण शिविर में पढ़ रही फलोदी की गृहणी मोनिका ने कहा कि मैं परिवार के पुरूष सदस्यों के साथ खुलकर बात करूंगी जिससे पुरूषों महिलाओं की समस्याओं को समझ सके और वे इन कठिन दिनों में हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रख सके. पपू, निम्बू, कांता आदि ने कहा कि इस बारे में महिलाओं से भी बात करना मुश्किल है. पुरूष सदस्य से चर्चा करना तो दूर की बात है महिलाएं अक्सर अपनी शारीरिक समस्याओं को पुरूषों से छुपाती हैं जबकि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इस बारे में पुरूषों से खुलकर चर्चा करनी चाहिए तभी समाज में बदलाव संभव है.


इस अवसर पर किरण, पूजा, शाइना, संगीता ने माहवारी से जुड़े अपने अनुभव साझा किए. प्रशिक्षिका कंचन थानवी, शैलजा व्यास, नीलम, शिमला ने किशोरियों को स्वयं की समझ पुख्ता करते हुए परिवार और समाज में जागरूकता फैलाने का संदेश दिया है.


Report: Arun Harsh


यह भी पढ़ें - फलोदी- मोबाइल वैन, बाल विवाह, तम्बाकू निषेध और कोविड को लेकर करेगी जागरूक