Agni Panchak Starts Today : हिंदू पंचांग में पंचक को अशुभ माना जाता है. इन पांच दिन में कई कामों को वर्जित बताया गया है. जैसे की आज से आरंभ हो रहे अग्नि पंचक अब 5 दिन तक यानि की 28 अक्टूबर 2023 तक चलेंगे. इस दौरान ये काम आप भूल से भी ना करें.


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हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले पंचांग में शुभ अशुभ मुहूर्त को देखा जाता है. आज यानि की 24 अक्टूबर 2023 को दशहरा या विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है. लेकिन आज से ही अग्नि पंचक शुरू हो रहे हैं. इन पंचकों में अग्नि से जुड़े कामों से बचना चाहिए. 


अब ऐसे में ये सवाल आपके मन में आ सकता है कि अग्नि पंचक में क्या रावण दहन किया जाना सही होगा. तो पंचांग के अनुसार आज सुबह 4 बजकर 21 मिनट से अग्नि पंचक शुरू हो रहा है, जो 28 अक्टूबर शनिवार को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा.


यानि की आज दशहरे के पूरे दिन पंचक का साया रहने वाला है. पंचक में अंतिम संस्कार तक की मनाही होती है. ऐसे में अगर रावण के पुतले का दहन होता है तो ये अशुभ हो सकता है. ऐसे में पचंक के प्रभाव को कम करने के लिए और इसके नुकसान से बचने के लिए रावण , कुंभकरण और मेघनाथ के साथ ही 5 अन्य पुतलों को भी जलाया जाना चाहिए.


पंचक क्या है-
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद के साथ ही रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहा जाता है. इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशि में भ्रमण पंचकों को जन्म दे देता है.  यानि कि पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र आते हैं. इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक कहा जाता है.


पंचक के नक्षत्रों का क्या प्रभाव होता है ये इस श्लोक में बताया गया है-'अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।'-मुहूर्त-चिंतामणि


धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है (जो आज से शुरू हो गया है)
शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की आशंका रहती है
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की आशंका  रहती है
उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है
रेवती नक्षत्र में धन हानि की आशंका  रहती है


पंचक के दौरान ये काम भूल से भी ना करें  
कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य
दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना.
लकड़ी एकत्र करना या खरीदना
मकान पर छत डलवाना
शव जलाना
पलंग या चारपाई बनवाना