Dhanteras 2023 : धनतेरस पर चांदी का सिक्का करेगा कमाल, स्वयं खिंची चली आएंगी मां लक्ष्मी
Dhanteras 2023 : साल 2023 में धनतेरस 10 नवंबर 2023 शुक्रवार के दिन ही है. शुक्रवार का दिन वैसे भी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. ऐसे में इस बार धनतेरस बहुत खास है. इस दिन किया गया ये लाल किताब का उपाय धन को आकर्षित करने के लिए आकर्षित है.
Dhanteras 2023 : साल 2023 में धनतेरस 10 नवंबर 2023 शुक्रवार के दिन ही है. शुक्रवार का दिन वैसे भी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. ऐसे में इस बार धनतेरस बहुत खास है. इस दिन किया गया ये लाल किताब का उपाय धन को आकर्षित करने के लिए आकर्षित है.
धनतेरस 2023 (Dhanteras 2023)
धनतेरस तिथि : 10 नवंबर 2023, शुक्रवार
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 6:19 बजे से रात 08:23 बजे तक
समृद्धि और सौभाग्य लाने के लिए धनतेरस के दिन एक बरहल या बड़हल फल लें और उसके अंदर एक छोटा चांदी का सिक्का रख दें. हालाँकि, आप केले के तने का भी उपयोग कर सकते हैं. सुनिश्चित करें कि आप धनतेरस से दिवाली तक हर दिन केले के पौधे को पानी दें. ऐसा करने से आपके जीवन में सौभाग्य और अधिशेष लाने में मदद मिलेगी.
दिवाली के दिन केले के तने या बड़हल से चांदी का सिक्का अवश्य निकालें. इस चांदी को एक अंगूठी का आकार दें और इसे पहनने से पहले कच्चे दूध और गंगा जल से धो लें. साथ ही दिवाली पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ अंगूठी की भी पूजा करनी चाहिए. बाद में, पूर्णिमा की रात को अंगूठी को कच्चे दूध, तुलसी के पत्तों और पवित्र गंगा जल से धोकर दोबारा पहनना चाहिए.
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा शुरू करने से पहले, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति के साथ लक्ष्मी यंत्र को समतल सतह पर रखना सुनिश्चित करें. पूजा करते समय हाथ में कमल लेकर लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना न भूलें. साथ ही आपको पांच बार लक्ष्मी मंत्र का जाप भी करना चाहिए. इसके अलावा आपको भाई धोज के दिन तक लक्ष्मी मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.
धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त के दौरान मंत्र का 11 बार जाप करने की सलाह दी जाती है. जप से पहले देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना जरूरी है. जाप के दौरान देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें. हल्दी पाउडर और चावल पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें.
त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस पूजा के दौरान सामने के दरवाजे पर "ओम" का प्रतीक बनाने के लिए पेस्ट का उपयोग करें. फिर भगवान कुबेर की पूजा करें और कुबेर यंत्र के लाभ घर ले आएं और उन्हें अपने मंदिर में स्थापित करें.
(डिस्क्लेमर- ये लेख लाल किताब पर आधारित है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है )