Ashadh Amavasya : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या होती है . जो 17 जून 2023 आज अमावस्या को  सुबह 09 बजकर 13 मिनट से लेकर 18 जून की सुबह 10 बजकर 8 मिनट तक है.


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आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को जल देकर पुतरों की शांति के लिये दान पुण्य करें. आज के दिन धार्मिक कार्यों से विशेष फल की प्राप्ति होती है. आज आषाढ़ अमावस्या पर किया गया यज्ञ कई गुना फल देने वाला होता है. 


आज सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण कर.  सात बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा जरूर करें. ऐसा करने से आपकी इच्छाओं की पूर्ति होगी.


आषाढ़ अमावस्या की व्रत कथा
स्वर्ग धाम की नगरी अलकापुरी में कुबेर नाम के एक राजा रहते थे. जो शिव जी के बड़े भक्त थे और हर दिन भगवान शिव की पूजा में लीन रहते थे. वहीं राजा का माली हेम रोजाना पूजा के लिए फूल लाया करता था. हेम माली की एक सुंदर पत्नी थी जिसका नाम विशालाक्षी था. एक दिन माली मानसरोवर से फूल लेकर आया और अपनी पत्नी से मजाक करने लगा. इधर राजा दोपहर तक माली की प्रतीक्षा करते रहें. थोड़ी देर बाद राजा ने अपने सेवकों को माली का पता लगाने का आदेश दिया. वापस आकर सिपाहियों ने राजा से कहा ‘माली बड़ा पापी और आक्रामक है वो तो अपनी महिला के साथ मजाक कर रहा है. ये सुनकर राजा क्रोधित हो गया. दरबार में बुलाए गये माली को राजा ने कहा का तुमने भगवान शिव का अपमान किया इसलिए वो स्त्री वियोग सहेगा और मृत्युलोक जाकर कोढ़ी भी बनेगा.


राजा कुबेर के श्राप के कारण हेम माली देवलोक से गिरकर पृथ्वी पर आ गया. हेम माली की पत्नी  गायब हो गयी.  पृथ्वी पर आकर माली बिना भोजन और पानी के जंगल में भटकता रहा. लेकिन भगवान शिव की आराधना के प्रभाव से उसे अपने पूर्व जन्म में की गलती जल्द याद आ गयी. 


एक दिन माली घूमते-घूमते मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में आ गया. जहां उसे ब्रह्मा की सभा जैसा दिखने लगा. हेम माली ने ऋषि के चरणों गिर कर मदद मांगी और ऋषि ने उसे एक व्रत के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को रखने भर से तुम्हारा उद्धार हो जाएगा.


ऋषि जी ने कहा  योगिनी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.  माली ने नियामनुसार व्रत किए. जिसके व्रत के प्रभाव से माली के सारे दुख और कष्ट नष्ट हो गये और उसकी पत्नी भी मिल गयी और उसका बाकी का जीवन आनंद में बीता.