पूजा पाठ में क्यों लगाये जाते हैं केले के पत्ते, जानें असली वजह
Faith : विवाह समारोह हो या फिर कोई दूसरा धार्मिक कार्यक्रम हो, हिंदू धर्म में केले के पत्ते को पूजा पाठ में विशेष स्थान मिलता है. केले के पत्तों और पेड़ को पूजनीय बताया गया है. केले के पत्ते का प्रयोग किसी भी पूजा, पाठ, हवन, पंगत और अनुष्ठान आदि में किया जाता है. पूजा-पाठ में न सिर्फ केले के पत्तों बल्कि तनों को भी प्रयोग में लिया जाता है.
Faith : विवाह समारोह हो या फिर कोई दूसरा धार्मिक कार्यक्रम हो, हिंदू धर्म में केले के पत्ते को पूजा पाठ में विशेष स्थान मिलता है. केले के पत्तों और पेड़ को पूजनीय बताया गया है. केले के पत्ते का प्रयोग किसी भी पूजा, पाठ, हवन, पंगत और अनुष्ठान आदि में किया जाता है. पूजा-पाठ में न सिर्फ केले के पत्तों बल्कि तनों को भी प्रयोग में लिया जाता है.
आमतौर पर सत्यनारायण कथा के आयोजन में केले के पेड़ का मंडप बनाकर तैयार किया जाता है. इससे बेहद शुद्ध कहा जाता है. ऐसा करने पर इस कथा को करने, कराने और सुनने वालों जातकों को केले के पेड़ के मंडप से ग्रहों का भी सत्यनारायण भगवान की कृपा से शुभ प्रभाव देखने को मिलता है.
मान्यता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास है. वहीं केले के पेड़ को देव गुरु बृहस्पति से भी जोड़ा जाता है. पूजा-अर्चना में केले के पत्तों का प्रयोग होने पर भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. भगवान श्रीकृष्ण और माता लक्ष्मी की कृपा से केले के पत्ते धार्मिक कार्य में आने वाली सभी बाधाओं को समाप्त कर देते हैं.
साथ ही जातक को देवगुरु बृहस्पति का आशीर्वाद भी मिल जाता है. ज्योतिष के अनुसार अगर यदि पूजा में केले के पत्तों का प्रयोग हो तो फिर कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति उच्च होगी और इसके शुभ परिणाम पूरे परिवार के सदस्यो को देखने को मिलेंगे.
मान्यता है कि माता लक्ष्मी और श्रीविष्णु को केले के पत्ते पर ही भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने पर घर में अन्न का भंडार भरा रहता है. साथ ही वैवाहिक सुख आजीवन बना रहता है. पति पत्नी के बीच आने वाली सभी परेशानियों का अंत प्रभु के आशीर्वाद से हो जाता है.