Karva Chauth 2023 : करवा चौथ व्रत हर सुहागिन स्त्री अपनी पति की लंबी आयु के लिए रखती है. विधिविधान से की गयी करवा माता और मां गौरी के पूजा के बाद करवा और करवा चौकी को कैसे और कब हटाना है इसके बारे में ज्यादा जानकारी लोगों को नहीं है.


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करवा चौथ पर करवा माता का प्रतीक करवा और पूजा के लिए स्थापित की गयी चौकी को इस विधि से ही हटाना चाहिए. करवा चौथ की पूजा (पूजा के नियम) के बाद विधिवत विसर्जन किया जाना जरूरी है.  कलश स्थापना के समय देवताओं का आह्वाहन हुआ होता है. ऐसे में विसर्जन के समय देवताओं को धन्यवाद कर उनकी विदाई की जाती है. 


पूजा में अर्पित सुहाग का सामान माता गौरी और करवा माता से हाथ जोड़कर मांगना चाहिए. इसके बाद चौकी पर रखें दो करवों को घर में ही किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें. या फिर किसी पेड़ के नीचे रख दें.  आप करवे को किसी पवित्र नदी में भी प्रवाहित कर सकती है. लेकिन कचरे में ना फेकें इसे करवा माता का अपमान समझा जाता है.


 पूजा के समय प्रयोग हुआ पूरा सामान एक लाल रंग के कपड़े में बांध लें और अगले करवा चौथ तक रखें. फिर नई सामग्री अगले करवा चौथ पर लाए तब पुराने सामान को विसर्जित कर दें.  जब पूजा का सारा सामान चौकी से हटा दें फिर चौकी को साफ कपड़े से साफ कर लें. करवे को किसी शुद्ध स्थान पर रख दें. इस जगह पर चूते चप्पल लेकर प्रवेश ना करें .


करवा चौथ नियम (Karva Chauth Niyam )
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करना होता है. इस ब्रह्म मुहूर्त को हमारे शास्त्रों में भी सबसे शुभ बताया गया है. व्रती महिलाओं के इस समय स्नान करने से मानसिक शक्ति मिलती है. साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में उठने से वैवाहिक सुख भी बना रहता है.


करवा चौथ के दिन जो सुहागिन व्रती महिलाएं नियमों का पालन कर व्रत संकल्प लेती हैं उन्हे भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद जरूर मिलता है. स्नान के बाद महिलाओं को करवा माता की पूजा करनी चाहिए ताकि पति पर करवा माता का आशीर्वाद बना रहें.


पूजा के बाद पति की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत करना चाहिए और व्रत संकल्प मंत्र का जप करना चाहिए -


मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥


माता पार्वती मंत्र 
नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥


करवा दान  मंत्र 
करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः॥


महादेव मंत्र 
'ऊँ अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात' 
'ॐ षण्मुखाय नमः


चंद्रमा मंत्र 
'देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।'