Mata Sita: रावण का वध करने के बाद श्रीराम, रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का सारा राज-पाठ देकर अयोध्या वापस आ गए थे और खुद अयोध्या का राज-पाठ संभालने लगे. 


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वहीं, एक दिन श्रीराम अपनी राजसभा में बैठे थे, उसी वक्त लंका के राजा विभीषण भी राजसभा में आ गए. वहीं, उन्होंने कहा कि हे प्रभु मेरी रक्षा कीजिए, लंका में कुंभकर्ण के बेटे मूलकासुर आफत मचा रहा है. 


विभीषण ने प्रभु श्रीराम को बताया कि कुंभकर्ण का पुत्र मूलकासुर असल में मूल नक्षत्र में पैदा हुआ था. इसकी वजह से कुंभकर्ण ने इसे जंगल में फेंक दिया था, जिसका मधुमक्खियों पाला. वहीं,  मूलकासुर ने बड़े होकर ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की, जिससे खुश होकर ब्रह्मा जी ने उसे वरदान था. इससे वह बहुत शक्तिशाली हो गया और लंका में आफत मचा रहा है. वहीं, अपने  पिता के वध के बाद उसने प्रण ले लिया कि वह पहले विभीषण को मारूंगा और फिर उसके बाद राम को. 
 
विभीषण की बात सुनने के बाद श्रीराम ने हनुमान और लक्ष्मण को अपनी सेना के साथ लंका भेजा. वहीं, जब मूलकासुर को राम की सेना के आने के बारे में पता चला तो वह भी अपनी सेना के साथ बाहर आ गया. दोनों सेना के बाद लगभग 7 दिन तक युद्ध चला लेकिन मूलकासुर ने अकेले ही श्रीराम की सेना को मार गिराया. 


इधर, श्रीराम को युद्ध के बारे में पता चला तो वह चिंतित हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए. ब्रह्मा जी ने प्रभु श्रीराम से कहा कि मूलकासुर को मैंने स्त्री के हाथों से मरने का वरदान दिया है इसलिए आप माता सीता के हाथों इसका वध करवाइए. वहीं, इसके बाद श्रीराम ने माता सीता को लंका बुलाया और मूलकासुर के बारे में सारी बात बताई. वहीं, श्रीराम की बात सुनकर माता सीता को गुस्सा आया, जिसके बाद उनके शरीर से एक तामसी शक्ति निकली. यह शक्ति सीता की छाया में चंडी का रूप धारण कर लंका की तरफ चली. 


वहीं, वानर सेना मूलकासुर की तांत्रिक क्रिया को तहस-नहस करने लगी. ये देख मूलकासुर को क्रोध आने लगा और वह वानरों को खाने के लिए उनके पीछे भागने लगा. ऐसे वह युद्ध के मैदान में आ गया और सीता की छाया को देख बोला तू कौन? इस पर माता सीता ने कहा कि 'मैं तुम्हारी मौत चंडी हूं.' तूने मेरा नाम लेने वाले ऋषि-मुनियों का मारकर खा लिया इसलिए अब मैं तुम्हें मारकर बदला लूंगी. इतना कहते ही सीता माता की छाया ने मूलकासुर पर 5 बाणों से वार किया और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ. आखिर में सीता माता की छाया ने 'चंडिकास्त्र' निकाला और  मूलकासुर का वध किया. इसके बाद सीता माता की छाया वापस उनके शरीर में चली गई. 


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