Tulsi Mata : हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवउत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन ही भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते है और चातुर्मास का समापन होता है. इसी दिन से फिर से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है.


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इस दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी की पूजा से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि कार्तिक मास में तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने और शाम को घी का दीपक जलाने से हर कष्ट का निवारण होता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. 


तुलसी माता पर वस्त्र चढ़ाते समय हमेशा बीज मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. ‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते. इस बीज मंत्र के जाप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं और इच्छा की पूर्ति होती है.


ज्योतिष शास्त्र से मंगल ग्रह के लिए लाल रंग का महत्व बताया गया है. देवउठनी एकादशी पर माता तुलसी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित किया जाता है. जो वाणी पर नियंत्रण के साथ ही घर में सुख समृद्धि का कारक बन सकती है.


इस दिन तुलसी माता को चुनरी अर्पित की जाती है जिससे हर समस्या का निदान होता है साथ ही निसंतान दंपत्ति को संतानसुख की प्राप्ति हो सकती है. तुलसी माता को किस रंग की चुनरी चढ़ाने पर क्या लाभ मिलता है. चलिए आपको बताते हैं.


कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी  22 नवंबर 2023 को रात को 11 बजकर 03 मिनट से शुरु हो रही है, जो 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के हिसाब से देवउठनी एकादशी 23 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी.


देवउठनी एकादशी पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवता को पूजा करने के साथ भोग और वस्त्र चढ़ायी जाती है. ठीक उसी तरह तुलसी को भी मां लक्ष्मी का स्वरूप ही कहा जाता है. इसलिए उन्हें भी वस्त्र अर्पित होता है. तुलसी के पौधे में लाल रंग की चुनरी चढ़ाने चाहिए.


तुलसी माता पर पीले रंग की चुनरी चढ़ानी चाहिए. पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है और बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसे में पीले रंग के वस्त्र मां लक्ष्मी को चढ़ाने पर संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है. पीले वस्त्र चढ़ाने के बाद कुछ समय के लिए तुलसी माता को कमरे में रखना चाहिए.