Oppenheimer : दुनिया को पहला एटम बम बनाकर देने वाले वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर बनी फिल्म  'ओपेनहाइमर' विवादो में हैं , वजह है फिल्म में एक सेक्स सीन के दौरान कलाकार का संस्कृत के श्लोक को बोलना. जो की भगवत गीता का हिस्सा बताया जा रहा है. फिल्म 22 जुलाई को भारत में रिलीज हो चुकी है.


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समाचार एजेंसी पीटीआई ने क्रिस्टोफ़र नोलन की फ़िल्म 'ओपेनहाइमर'  देखने वालों के हवाले से बताया है कि फिल्म में एक सेक्स सीन के दौरान पढ़ी गयी संस्कृत की पंक्तियां हिंदुओं की पवित्र मानी जाने वाली भगवद् गीता से ही हैं. फ़िल्म से इस सीन को हटाने की मांग की जा रही है. 


180 मिनट की इस फिल्म ने दो दिन में 30 करोड़ की कमाई पहले ही कर ली है. इस सीन में जीन एक क़िताब उठाती हैं और ओपेनहाइमर से पूछती हैं कि ये कौन सी भाषा में लिखा गया है. जीन के कहने पर ओपेनहाइमर उस किताब का एक पन्ना पढ़ते हैं जिसमें लिखा है कि  "मैं अब काल हूं जो लोकों (दुनिया) का नाश करता हूं.". हांलाकि इस किताब का नाम फिल्म में नहीं दिखाया गया है. लेकिन पन्ने पर लिखी भाषा संस्कृत जैसी है.


मामले को लेकर भारत सरकार के इंफॉर्मेशन कमिश्नर उदय माहुरकर ने फ़िल्म के निर्देशक क्रिस्टोफ़र नोलन को ओपन लैटर लिखा है कि और विरोध जताया है.  महुरकर 'सेव कल्चर सेव इंडिया फाउंडेशन' के संस्थापक भी है जिन्होने फ़िल्म के विवादित सीन को "हिदुत्व पर हमला" बताते हुए इसे हटाने को कहा है.


माहुरकर ने फ़िल्म के सर्टिफ़िकेशन पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है, "मुझे ये नहीं समझ आया कि सीबीएफ़सी ने ऐसे सीन के साथ फ़िल्म के प्रदर्शन की इज़ाज़त कैसे दी है." सीबीएफ़सी के चेयरपर्सन प्रसून जोशी और सेंसर बोर्ड के दूसरे सदस्यों ने इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 


आपको बता दें कि एटम बम को बनाने वाले ओपेनहाइमर ने बारे में ये हमेशा से माना जाता है कि उन्होंने संस्कृत सीखी थी और वो भगवद गीता से प्रभावित थे. 16 जुलाई 1945 में पहली बार जब एटम बम के विस्फोट को ओपेनहाइमर ने देखा था तो एक इंटरव्यू के बाद कहा था कि मुझे पौराणिक हिंदू क़िताब भगवद् गीता की कुछ पंक्ति याद आई हैं. कि "भगवान कृष्ण अर्जुन को समझा रहे हैं कि उन्हें अपना कर्तव्य करते रहे, वो अपना विराट रूप दिखाते हुए अर्जुन से कहते हैं, मैं अब काल हूं जो लोकों (दुनिया) का नाश करता हूं." 


भगवत गीता के 11वें अध्याय के 32वें श्लोक है, श्रीकृष्ण. अर्जुन से कहते हैं कि  "काल: अस्मि लोकक्षयकृत्प्रविद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्त:. 


पीटीआई के मुताबिक फ़िल्म को सेंट्र्ल बोर्ड ऑफ़ फ़िल्म सर्टिफ़िकेशन (सीबीएफ़सी) ने यू/ए रेटिंग दी थी. फ़िल्म की अवधि को छोटा करने के लिए इसके कुछ दृश्य भी हटाए गए हैं जिसके बाद भारत में ये फ़िल्म 13 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे देख सकते हैं.


अमेरिका में इसे आर-रिस्ट्र्क्टेड (पाबंदी) रेट मिला था. जिसका मतलब होता है कि अगर दर्शक की उम्र 17 साल से कम है तो उसके साथ फ़िल्म देखने के लिए अभिभावक या किसी वयस्क का होना ज़रूरी है. ये क्रिस्टोफ़र नोलन की पहली आर रेटेड फ़िल्म है.