Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या नगरी में बने भव्य राम मंदिर में आज 500 साल बाद प्रभु राम की बाल स्वरूप में मूर्ति विराजमान हो गई है. इस समय पूरा देश राम के नाम में रंग गया है और चारों-ओर राम के नाम के जयकारें लग रहे हैं. भगवान विष्णु 7वें अवतार में श्रीराम बनकर धरती पर आए थे. महाभारत के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने कहा था कि तीन बार राम के नाम का उच्चारण हजारों देवताओं का स्मरण करने के समान होता है. ऐसे में आज जानिए राम का नामकरण किसने किया था? 


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धार्मिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में प्रभु राम जन्में थे. कहा जाता है कि अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए एक महायज्ञ करवाया था, जिसको समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों और वेदविज्ञ प्रकांड पंडितों ने संपन्न किया. 


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यज्ञ में प्रसाद के रूप में खीर चढ़ाई जाती है. वहीं, राजा दशरथ ने खीर का प्रसाद अपनी तीनों रानियों को दिया. इस खीर को खाने के बाद चैत्र शुक्ल नवमी को राजा की तीनों रानियों माता कौशल्या, सुमित्रा कैकेयी ने चार बेटों को जन्म दिया था. 


प्रभु श्रीराम का नामकरण ? 
माता कौशल्या ने नील वर्ण, तेजस्वी, परम कान्तिवान, अति सुंदर बालक को जन्म दिया. वहीं, रघुवंशियों के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने इस मोहक और सुंदर शिशु को रामचंद्र नाम दिया. 


वशिष्ठ के मुताबिक, राम शब्द दो बीजाक्षरों अग्नि बीज और अमृत बीज से मिलकर बना है, जिसके उच्चारण से शरीर और आत्मा को शक्ति मिलती है. इसके अलावा माता सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न और माता कैकेयी ने भरत को जन्म दिया था. इन चारों पुत्रों का वशिष्ट ऋषि ने नामकरण किया था. 



मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म  चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी पर पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था. इस समय ग्रहों की स्थिति बहुत शुभ थी. इस दिन पांच ग्रह शुक्र, सूर्य, मंगल, बृहस्पति,  और शनि अपनी उच्च राशि में विराजमान थे.