सर्वार्थ सिद्धि , रवि और इंद्र योग में सावन का दूसरा प्रदोष व्रत, नोट करें डेट
Astrology : हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. सावन में प्रदोष व्रत होने पर इसका महत्व और बढ़ जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रत है. इस दिन व्रत और पूजा करने से जातक की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और दुखों से मुक्ति मिलती है.
Sawan Pradosh Vrat : हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. सावन में प्रदोष व्रत होने पर इसका महत्व और बढ़ जाता है. प्रदोष व्रत जातक के सभी दुखों को दूर करता है और मन को शांति देता है. आपको बता दें कि सावन का दूसरा प्रदोष व्रत 30 जुलाई रविवार के दिन है. इस दिन रवि प्रदोष व्रत भी है. इस दिन 3 शुभ योग भी बन रहे हैं, इसलिए इस प्रदोष व्रत का ज्यादा है.
चलिए बताते हैं आपको प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के साथ वो उपाय जो आपके जीवन में खुशियां भर देगा. वैदिक गणना के हिसाब से देखें तो श्रावण अधिक मास शुक्ल त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई, रविवार, सुबह 10 बजकर 33 मिनट से शुरु होकर 31 जुलाई सोमवार को सुबह 07 बजकर 27 मिनट तक प्रदोष व्रत तिथि रहेगी.
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त (Sawan Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 13 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 18 मिनट तक रहेगा
सर्वार्थ सिद्धि योग- 30 जुलाई, सुबह 05 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 31 मिनट तक
इंद्र योग- प्रात:काल से आरंभ होकर सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक
रवि योग- रात 09 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
प्रदोष व्रत उपाय
शिव को अटूट कच्चा चावल या अक्षत नियमित चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का अभिषेक मूंग से करने पर दरिद्रता से मुक्ति मिलती है.
प्रदोष व्रत के दिन गाय के घी से शिवलिंग का अभिषेक आरोग्य की प्राप्ति कराता है.
मनोकामना पूर्ति के लिए 11 या 21 बेलपत्र शिवलिंग पर प्रदोष व्रत के दिन अर्पित करने चाहिए.
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