राजस्थान का वो मंदिर जहां, जल खुद पहुंचकर करता है भोलेनाथ का अभिषेक
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Chandreshwar Mahadev Temple,Udaipur : राजस्थान (RAJASTHAN)के उदयपुर में लगातार बारिश के चलते झाड़ोल में करीब 400 वर्ष पुराने चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में करीब 4 फीट तक पानी भर चुका है. जिससे यहां बना शिवलिंग पानी में पूरी तरह डूब चुका है. शहर से करीब 60किमी दूर झाड़ोल के चंदवास गांव के इन मंदिर ने हर बार पहले नंदी तो बाद शिवलिंग तक जल आता है और जलाभिषेक कर वापस चला जाता है.
Chandreshwar Mahadev Temple,Udaipur : राजस्थान के उदयपुर में लगातार बारिश के चलते झाड़ोल में करीब 400 वर्ष पुराने चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में करीब 4 फीट तक पानी भर चुका है. जिससे यहां बना शिवलिंग पानी में पूरी तरह डूब चुका है. शहर से करीब 60किमी दूर झाड़ोल के चंदवास गांव के इन मंदिर ने हर बार पहले नंदी तो बाद शिवलिंग तक जल आता है और जलाभिषेक कर वापस चला जाता है.
भक्तों की आस्था ही है कि इसके बावजूद पानी में डूबी शिवलिंग के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन प्रशासन की तरफ से खतरे को देखते हुए फिलहाल भक्तों से दूर से दर्शन की ही अपील की गयी है. इस मंदिर को न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है.
जानकारी अनुसार वर्ष 2005 में मानसी वाकल बांध बनने के बाद ये मंदिर बांध के डूब क्षेत्र में आ गया था. ऐसे में बांध में पानी भर जाने पर पानी मंदिर के अंदर तक तक आ जाता है. खासतौर पर शिवरात्रि में ये स्थिति दिखती है. इसके बाद बांध में जलस्तर कम होता जाता है और मंदिर में भी पानी नहीं आता. बांध के ओवरफ्लो होने पर मंदिर करीब 10 फीट तक डूब सकता है.
1590 में हुआ था मंदिर निर्माण
लोगों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण साल 1590 में एक बंजारे ने करवाया था. मान्यता थी कि इलाके में कोई भी वाद-विवाद या कोई मामला होता था तो उसका निर्णय महादेव ही करते है. झूठ और सच का निर्णय शिवलिंग पर हाथ रख कर सौगंध दिलाकर किया जाता था.
मंदिर समिति सदस्य चेतन लोलावत के अनुसार मानसी वाकल बांध के पूर्ण भराव क्षमता तक भर जाने पर ये मंदिर जलमग्न हो जाता है. हर साल मॉनसून के दौरान शिवालय जलमग्न होता है. शिवरात्रि के समय बांध का पानी खाली होने पर भक्त मंदिर के अंदर जाकर दर्शन कर सकते हैं.