Mahabharata : घर के बड़े-बुजुर्गों को आपने कहते सुना होगा की महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने पर घर में लड़ाई झगड़ा होता है. क्या आप जानते हैं इसके पीछे का तर्क क्या है ? क्या सच में महाभारत घर में रखना शुभ नहीं है ?


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हिंदू धर्म में चार वेदों के बाद महाभारत को 5वां वेद कहा गया है. सभी चारों वेद घर में रखे जा सकते हैं, लेकिन महाभारत को लेकर मत अलग हैं. दुर्गा सप्तशती(Durga Saptshati) ,रामायण और कई पुराणों में युद्ध का वर्णन है. ऐसे में ये मान लेना कि जिस ग्रंथ या वेद में लड़ाई का विस्तृत वर्णन है, वो आपके घर में लड़ाई की वजह बन सकता है, क्या तर्क संगत हैं ?


रामायण(Ramayana) में तो ना सिर्फ युद्ध बल्कि श्रीराम और माता सीता के अलग होने के बारे में भी लिखा गया है. तो क्या रामायण के घर में रहने से दाम्पत्य जीवन खराब हो जाता है. या आपको घर त्यागना पड़ता है. माना जाता है कि महाभारत को लेकर मध्यकाल में ये धारण फैली थी इसे घर में नहीं रखना चाहिए.


खासतौर पर जब भारतवर्ष पर विदेशी आक्रांता और फिर अंग्रेजों की शासन रहा, तब हिंदू धर्म और उससे जुड़े पवित्र ग्रंथों को नष्ट करने की कोशिश की गयी. जिसमें ये कहा गया की रामायण और महाभारत सिर्फ कहानियां हैं. धीरे धीरे तस्वीर साफ हुई और रामसेतु जैसे कई उदाहरण समाने आए और इन धर्म ग्रंथों की सत्यता नास्तिकों में भी स्थापित हुई.


महाभारत में वेद, उपनिषद और पुराण के साथ ही पूरे हिंदू धर्म का निचोड़ मिलता है. ये ना सिर्फ आपके व्यक्तित्व को निखार सकती है. बल्कि इसमें लिखी बातें अपनाकर व्यक्ति उन्नति के पद पर आगे बढ़ सकता है. आम जीवन में भी महाभारत में लिखी एक एक बात प्रासंगिक हैं.


मान्यता है जो भी बचपन में ही महाभारत का अध्ययन कर लेता है वो मेधावी और ज्ञान से भरा होता है. ऐसे बच्चें माता पिता का आदर और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के साथ ही कलयुग में जीने की कला भी सीख जाते हैं. महाभारत में श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान में जो विद्या दी गयी है. वो पराशर गीता, धृतराष्ट्र-संजय संवाद, यक्ष प्रश्न, विदुर नीति, भीष्म नीति समेत कहीं नहीं मिलती है.  


महाभारत एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो हिंदू धर्म और उसके इतिहास को दिखाता है. धर्म, ज्ञान, तर्क, राजनीति, नीति, मोक्ष और कलाओं का ज्ञान देने वाला महाभारत ग्रंथ आप अपने घर में रख भी सकते हैं और इसका पाठ भी कर सकते हैं. ये ना केवल आपके अंदर बल्कि, आपकी आने वाली पीढ़ी के अंदर भी सत्य का प्रकाश फैलाएगा. बाकि आपका स्वंय का विवेक हैं.
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