Karauli: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में बुधवार को क्षेत्र के किसान मंडरायल के पास स्थित चंबल नदी पर एकत्र हुए और ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की केंद्र सरकार से पुरजोर ढंग से मांग करते हुए चंबल की महाआरती की. 


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पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना एवं प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि समिति की ओर से ईआरसीपी के प्रति पूर्वी राजस्थानी किसानों को जागरूक करने का अभियान चलाया हुआ है. 


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इस अभियान में 16 मई को टोडाभीम के महस्वा नांगल पहाड़ी स्थित कुठीला वाले हनुमान मंदिर पर महापंचायत आयोजित होगी. इस महापंचायत से पहले बुधवार को क्षेत्र के किसानों ने चंबल की महाआरती की. इसके लिए दोपहर को ही क्षेत्र के सैकड़ों किसान मंडरायल के पास चंबल नदी पहुंचे और विधि विधान से मंत्रोच्चारण के बीच चंबल की महाआरती की. 


करीब 200 से ज्यादा किसानों ने दीपकों से चंबल की महाआरती की. सभी उपस्थित किसानों ने महाआरती के माध्यम से चंबल मैया से पूर्वी राजस्थान की धरा को हरा-भरा करने एवं पानी की कोई कमी नहीं रखने की आराधना की. 


किसानों ने संकल्प लिया कि वे हर हाल में पूर्वी राजस्थान की धरा पर चंबल का पानी लाकर रहेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग की गई. प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने कहा कि पूर्वी राजस्थान के सभी 13 जिलों के लोगों को ईआरसीपो के लिए एकजुट किया जा रहा है. पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में चंबल का पानी लाकर ही पेयजल, सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी की आपूर्ति की जा सकती है. इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. 


महाआरती के बाद चंबल के पानी से कलश भरे गए, जिन्हें 16 मई की महापंचायत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं राजपाल कलराज मिश्र आदि को भेंट किया जाएगा. इसके साथ ही ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग की जाएगी. 


Reporter- Ashish Chaturvedi