करौली: शैली वाले हनुमानजी के द्वार पहुंचे CM अशोक गहलोत, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में की शिरकत
मंडरायल कस्बे के समीप शैली वाले हनुमान नवनिर्मित मंदिर में 7 मई को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिरकत की और देव दर्शन कर भव्य मंदिर की शिला पट्टिका का अनावरण किया. सीएम गहलोत ने साधु संतों का सम्मान किया. पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण कराने के बाद अब यह स्थान धाम का स्वरूप नजर आने लगा है.
Karauli News: मंडरायल कस्बे के समीप शैली वाले हनुमान जी सदियों से डांग क्षेत्र के लोगों की क्षेत्रवासियों की आस्था का केंद्र हैं. ऊंचे पहाड़ की तलहटी में बसे इस मंदिर में अब जंगल में मंगल वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण कराने के बाद अब यह स्थान धाम का स्वरूप नजर आने लगा है.
मंगलवार, शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. प्राचीन काल से ही दशहरे पर मंदिर में मेले का आयोजन होता जिसमें बड़ी संख्या में लोग अपनी मनौती मांगने पहुंचते है. बुजुर्ग और जानकार लोग बताते हैं कि यहा हनुमान जी की प्रतिमा मुगलकाल से विराजित है. यह स्थान संतो की तपोभूमि रहा है. मंडरायल से करीब 5 किलोमीटर दूर यह सिद्ध स्थान रोधई मार्ग पर स्थित है. हनुमान जी का विशाल परिसर है जिसमें अब पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया है.
मुख्यमंत्री गहलोत ने की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत
नवनिर्मित मंदिर में 7 मई को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिरकत की और देव दर्शन कर भव्य मंदिर की शिला पट्टिका का अनावरण किया। सीएम गहलोत ने साधु संतों का सम्मान किया. मंदिर मे 5 मई से साध्वी जय प्रिया दीदी ने राम कथा वाचन किया. और 15 से 21 मई तक रमेश शास्त्री द्वारा भागवत कथा वाचन किया जा रहा है.
यूं पड़ा नाम शैली वाले हनुमानजी
हनुमान जी का नाम शैली वाले हनुमान मंदिर होने का प्रसंग भी अलग है. धार्मिक लोगों और जानकारों का कहना है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा शिला ( चट्टान का टुकड़ा) पर उद्भव हुई और इसी आधार यह शिला वाले हनुमान जी कहलाने लगे और समय परिवर्तन के साथ शिला वाले हनुमान जी शैली वाले हनुमान जी के रूप में ख्यातनाम हो गए.
अब भव्य रूप मिला है मंदिर को
पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा ने शैली वाले हनुमान मंदिर परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण कराया है. मंदिर की ऊंची गुंबद आकर्षण का केंद्र है तो। मंदिर में राम दरबार राधा कृष्ण क्षीर सागर व विष्णु लक्ष्मी और अंबे माता के भव्य आकर्षक विग्रह विराजित किए गए हैं. प्राचीन हनुमान मंदिर के समीप नए शिवालय की स्थापना कराई गई है. जहां आकर्षक नर्वदेश्वर शिवलिंग विराजमान किया गया है. धार्मिक जनों के अनुसार इतना विशाल शिवलिंग क्षेत्र के शिव मंदिरों में नहीं है. नवनिर्मित मंदिर को राधा रमन बिहारी जी नाम दिया गया है. मंदिर के दाहिनी और विशाल सत्संग भवन बनवाया गया है. जिसके ऊपर साधु संतों के विश्राम के लिए 14 कमरे बनवाए गए हैं. मंदिर के बाई और ठाकुर जी की भोजनशाला है. साथ ही महंत भवन और संतों के विश्राम के लिए प्रथक से कमरे भी निर्मित कराए गए. बाई और ही धार्मिक आयोजनों मैं प्रसादी निर्माण के लिए रसोई का निर्माण कराया गया है.
संतो ने की है तपस्या
पहाड़ी की तलहटी और घना जंगल होने के कारण यह स्थान संतों की तपोभूमि भी रहा है. प्राचीन काल से ही अनेक संतों ने यहां पर तपस्या की और उनकी तपस्या के प्रताप के कारण ही यह स्थान सिद्धक्षेत्र होता चला गया. बुजुर्ग बताते हैं कि यहां पर मुंबई वाले बाबा मोनी बाबा जयराम दास बाबा सहित अनेक संतों ने तपस्या की है.
पीलिया और टाइफाइड रोगों का होता निदान
शैली वाले हनुमान जी में क्षेत्रवासियों की गहरी आस्था है साथ ही मान्यता है कि शैली वाली हनुमान जी की धोक लगाने और भभूत लगाने से पीलिया और टाइफाइड पीड़ितों को रोग से निदान मिलता है. आज भी बड़ी संख्या में पीलिया और टाइफाइड से पीड़ित लोग मंदिर में धोक लगाने पहुंचते हैं और उनकी आस्था के अनुसार उन्हें रोग से मुक्ति भी मिलती है.
मंत्री के पिता शंकरलाल नियमित अर्पित करते थे दूध
मंत्री रमेश मीणा के परिवार की शैली वाली हनुमान जी के प्रति काफी समय से अगाध आस्था रही है। मंत्री रमेश मीणा के पिता शंकरलाल अपने जीवन काल में प्रतिदिन हनुमानजी पर दूध अर्पण करते थे। हनुमान जी की सेवा पूजा करते थे।
मंत्री रमेश मीणा की भी बचपन से रही है आस्था
मंत्री रमेश मीणा कहते हैं कि उनकी बचपन से ही शैली वाले हनुमान जी मैं आस्था रही है और आज वह जो भी है इन हनुमान जी की ही कृपा और आशीर्वाद का प्रताप है. मंत्री रमेश मीणा बताते हैं उनका पैतृक गांव नयागांव समीप ही है.
बचपन से ही शैली वाले हनुमान जी के दर्शन करते थे. पढ़ाई के लिए और बाद में बिजनेस के लिए बाहर भी रहे तो जब भी गांव आना होता शैली वाले हनुमान जी की धोक लगाने अवश्य पहुंचते.
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खुशबू से महकेगा परिसर
मंदिर परिसर में विभिन्न स्थानों से मंगवा फल पुष्प और छायादार पौधे लगाए गए हैं. बड़ पीपल नीम कदंब कल्पवृक्ष सहित अन्य प्रजातियों के अलावा चांदनी गुड़हल गुलाब मोगरा आदि पुष्पों के पौधे लगाए गए हैं. साथ ही तुलसी के पौधे भी रोपित किए गए है.
संत तपस्या करें और लोग जागरूक बने
रमेश मीणा का कहना है कि मंदिर सत्संग भवन संत और महंत भवन बनवाने का उद्देश्य यह है कि यह संतों की तपोभूमि फिर से पुराने स्वरूप में लौटे। यहां संत तपस्या करें. सत्संग और धार्मिक आयोजन हो. संतों के सत्संग से क्षेत्र के ग्रामीणों को धर्म ज्ञान नैतिक ज्ञान का प्रकाश हो. मंत्री का कहना है कि संतो के आवागमन से सामाजिक धार्मिक समरसता बढ़ती है साथ ही लोगों से विकार दूर होते हैं और स्वस्थ मानसिकता के साथ सामाजिक तानाबाना मजबूत होता है.