Karauli News: जिले के मासलपुर क्षेत्र के जंगलों (वन क्षेत्र) से बुधवार को वन्यजीव प्रेमियों के लिए बुरी खबर सामने आई. इलाके में बुधवार सुबह एक टाइगर मृत मिला. टाइगर का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई. 


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टाइगर का शव ठेकरा गौशाला इलाके के एक नाले में मृत अवस्था में पड़ा मिला. सूचना पर वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंची. साथ ही मासलपुर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची. टाइगर की मौत के कारणों का भी पता नहीं चला है, न ही टाइगर की शिनाख्त हो पाई.


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टाइगर के शव का करौली में उप वन संरक्षक कार्यालय के समीप स्वर्ण जयंती उद्यान परिसर में पशुपालन विभाग की मेडिकल टीम से पोस्टमार्टम कराया गया. उप वन संरक्षक सुरेश मिश्रा ने बताया कि मासलपुर वन क्षेत्र में ठेकड़ा गौशाला के पास जंगल में एक टाइगर का शव मिलने की सूचना मिली थी. सूचना पर मौके पर पहुंचे और जानकारी ली है. टाइगर की मौत के कारणों की जांच के लिए सैम्पल लैब में भेजे गए हैं, जिसके आधार पर टाइगर की पहचान की जाएगी. 


ये अधिकारी रहे मौजूद
इस दौरान वन विभाग कार्यालय रणथम्भार बाघ परियोजना के सीसीएफ सेडूराम, उपवन संरक्षक डॉ. रामानन्द भांकर, सुरेश मिश्रा, एसीएम प्रीति चक, पुलिस उपाधीक्षक दीपक गर्ग सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.


वन विभाग की जंगल में गश्त पर उठे सवाल
एक ओर तो वन विभाग की ओर से बाघों की लगातार मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग के दावे किए जाते है, वहीं दूसरी ओर टाइगर के शव के कुछ दिन पुराना होने को लेकर वन विभाग की जंगल में गश्त को लेकर सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं. जानकारों का कहना है कि विभागीय अधिकारी वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग के दावे किए जाते हैं. ऐसे में टाइगर का शव जंगल में पड़ा रहा, लेकिन विभाग को भनक तक नहीं लगी. बुधवार सुबह उस इलाके से कुछ महिलाएं वन क्षेत्र के जंगल से होकर निकलीं तो उन्हें वन्यजीव मृत अवस्था में दिखाई पड़ा. इसके बाद सूचना पर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर दौड़े और टाइगर होने की पुष्टि की. हालांकि वन विभाग अधिकारियों ने टाइगर की मौत कब हुई, इसे लेकर पोस्टमार्टम और बिसरा रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होने की बात कही है.


इन जगहों पर बना रहता है बाघों का मूवमेंट
सवाई माधोपुर के रणथम्भौर वन्यजीव अभयारण्य के द्वितीय क्षेत्र कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य में आम तौर पर करीब आधा दर्जन बाघों का मूवमेंट बना रहता है. पिछले कुछ वर्षों में यहां रणथम्भौर से बाघ आते-जाते रहे हैं. विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्तमान में भी कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य में चार बाघों का मूवमेंट बताया जा रहा है. बुधवार को जिस स्थान पर मृत अवस्था में बाघ मिला है, वह क्षेत्र कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य के बाहर है और काफी दूरी पर भी है लेकिन इस इलाके में बाघों का मूवमेंट अक्सर बना रहता है.


इन जगहों से बाघों को किया गया था ट्रेंकुलाइज 
जिस स्थान पर टाइगर मृत अवस्था में मिला है, उसी इलाके में करीब साढ़े तीन वर्ष पहले वन विभाग की टीम ने रणथम्भौर के बाघ टी-104 को रेस्क्यू किया था. उस समय टी-104 बाघ को ठेकरा गोशाला के समीप एक नाले में ट्रेंकुलाइज किया गया था. गौरतलब है कि अगस्त 2019 में करीब 12 दिन तक करौली जिला मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न इलाकों में विचरण कर टाइगर टी-104 दशहत फैलाता रहा था. वन विभाग की टीम को कड़ी मशक्कत के बाद 12 दिन बाद उस बाघ को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू करने में सफलता मिल पाई थी. वहीं दिसम्बर 2022 में भी एक टाइगर का इसी इलाके और ताली पहाड़ वन क्षेत्र में करीब एक माह तक लगातार मूवमेंट रहा था.