करौली: पांचना बांध से नहरों में पानी छोड़ने को लेकर आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इलाके के किसानों की ओर से मंगलवार को महापंचायत का आयोजन किया गया. महापंचायत में किसानों ने पहले पांचना बांध क्षेत्र के 39 गांवों, नदी तट के 360 गांवों के किसानों को पानी देने, चंबल का पानी पांचना बांध में लाने की मांग को लेकर चर्चा हुई. बांध पर चल रहा पड़ाव जारी रखने और 1 जनवरी को फिर बांध पर महापंचायत के आयोजन का निर्णय लिया गया. साथ ही सरकार के विरोध का भी निर्णय लिया गया.


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 बैठक में आगामी 24-25 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रस्तावित करौली दौरे का विरोध करते हुए मांग पूरी नहीं होने पर किसानों ने अपने घरों पर काले झंडे लगाने का निर्णय लिया है. मांग को लेकर पिछले 10 दिनों से बांध पर पड़ाव दिया जा रहा है. आगामी दिनों के लिए क्षेत्र के 39 गांव के किसानों की ड्यूटी लगाई गई है. बांध के आसपास गांवों के किसान पिछले 10 दिनों से पहरेदारी कर रहे हैं. 


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10 दिनों से बांध पर जारी है पड़ाव


गौरतलब है कि 10 दिसम्बर को गुड़ला गांव के देवनारायण मंदिर पर गुड़ला-पांचना संघर्ष समिति एवं आसपास के 39 गांवों के अलावा नदी किनारे बसे गांवों के किसानों की बैठक हुई थी, जिसमें किसानों ने पांचना बांध से उन्हें पानी देने की मांग की. इसके बाद से आसपास के गांवों के किसान बांध पर पड़ाव डाले हुए हैं. किसानों के अनुसार गुड़ला-पांचना संघर्ष समिति एवं आसपास के 39 गांवों के अलावा नदी किनारे बसे 360 गांवों के किसानों की महापंचायत बुलाई गई.


2020 में हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिका


महापंचायत में वक्ताओं ने पहले पांचना बांध के किनारे बसे गांवों को पानी देने फिर नदी किनारे और बहाव क्षेत्र के किसानों को पानी देने की मांग की साथ ही क्षेत्र के किसानों की मांग पूरी नहीं होने तक पांचना बांध से नहरों मे पानी निकासी नहीं होने देने का भी निर्णय लिया. उल्लेखनीय है कि कमांड एरिया के किसानों की ओर से वर्ष  2020 में ग्रामोत्थान संस्था द्वारा लगाई गई, जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने आठ दिसम्बर को आदेश जारी किया है. जिसमें तीन सप्ताह में पांचना का पानी नहरों में खोलने के आदेश दिए हैं. आदेश के बाद क्षेत्र के किसानों ने पांचना बांध पर पड़ाव शुरू कर दिया. 


अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी


संयोजक अशोक सिंह धाबाई ने कहा कि 17 साल से पंचायत करते आ रहे हैं. बांध का निर्माण भरतपुर को बाढ़ से बचाने के लिए हुआ था. बांध से नहर बनाने के लिए बहाव क्षेत्र का सर्वे हुआ. लेकिन बाद में बहाव क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में नहर बना दी गई. जिसे कमांड क्षेत्र कहा जाता है. वक्ताओं ने कहा कि वह किसी का पानी नहीं रोकना चाहते. पहले चंबल से पानी ले आओ और फिर उसके बाद किसी को भी पानी दो. जिनका पानी रोका बांध के पानी पर पहला हक उनका बनता है. बांध से पहले आसपास के 39 गांव, फिर नदी तट और बहाव क्षेत्र के 360 गांव का हक बनता है. पानी नहीं मिलने तक संघर्ष और अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा. बैठक के दौरान कर्नल किरोड़ी बैसला सहित गुर्जर समाज के शहीदों को 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.


Reporter- Ashish Chaturvedi