कोटा: भारतीय किसान संघ की अगुवाई में संभाग भर के किसान संभागीय आयुक्त कार्यालय पर जुटे किसानों ने लहसुन की बाजार हस्तक्षेप योजना में खरीद की मांग को लेकर सीएडी स्थित कमिश्नर कार्यालय पर प्रदर्शन किया. नारेबाजी करते हुए किसानों ने हल्ला बोला कोटा बूंदी, बारां और झालावाड़ के किसान टीलेश्वर चौराहा मानव विकास भवन से रैली के रूप में हाथों में तख़्तियाँ लेकर कमिश्नर कार्यालय पहुंचे. यहां अपनी मांगों पर अड़े किसान सड़क पर बैठ गए. जिससे कुछ देर के लिए दोनों ओर का रास्ता जाम हो गया.


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सूचना मिलने पर संभागीय आयुक्त दीपक नंदी कार्यालय पहुंचे. जहाँ किसानों को समझाइश कर सड़क से हटाया गया. इस दौरान किसानों ने सड़क पर लहसुन बिखेरकर सरकार का विरोध किया आयुक्त से किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने वार्ता की प्रतिनिधिमण्डल में अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य कैलाश गेंडोलिया, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रघुनाथ सिंह, प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा, प्रांत प्रचार प्रमुख आशीष मेहता, प्रदेश महिला प्रमुख राम मूर्ति, सह प्रमुख भारती नागर, संभाग अध्यक्ष विक्रम सिंह सिरोहिया, महिला प्रमुख रमा शर्मा, कोटा जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी, संभाग मंत्री श्रीकृष्ण पाटीदार, बारां अध्यक्ष अमृत छजावा, झालावाड़ अध्यक्ष धनसिंह गुजर, बूंदी जिला मंत्री संतोष दुबे शामिल थे.


ये रखी मांगें


प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री के नाम संभागीय आयुक्त को ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि लहसुन की उपज में किसानों का लागत मूल्य ही नहीं बल्कि कटाई कराकर मंडी तक लाने का खर्च भी निकालना मुश्किल हो रहा है. राज्य सरकार के द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत लहसुन खरीदी के लिए भेजे गए प्रस्ताव को केंद्र द्वारा मंजूरी मिलने के बावजूद भी सरकारी कांटे शुरू नहीं हो पाए हैं. सरकार की देरी का खामियाजा किसानों को अपनी उपज औने पौने दामों में बेचकर चुकाना पड़ रहा है.वार्ता के दौरान किसानों ने तुरंत लहसुन खरीदी शुरू कराए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि बाजार का सामान्य सिद्धांत है, किसी भी वस्तु का दाम बढ़ता है, घटता नहीं, लेकिन, राज्य सरकार ने चार साल में लहसुन की खरीदी की दर घटाकर किसानों के साथ अन्याय किया है.


किसानों के लहसुन को 5 हजार रुपए क्विंटल की दर से खरीदी का नया प्रस्ताव भेजा जाए. विभिन्न पटवार मंडलों में की गई गिरदावरी में अशुद्धियां हैं. जहाँ लहसुन की बुआई हुई है. वहाँ सरसों लिखा गया है. ऐसे में इन अशुद्ध गिरदावरी को संशोधित करने के आदेश दिए जाएं. इसके लिए पटवारियों को मुख्यालय पर रुकने के भी आदेश जारी हों. वहीं गलत गिरदावरी करने के दोषी पटवारियों के खिलाफ कार्यवाही हो. प्रतिवर्ष किसानों को ग्राम सहकारी समिति से ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है. जिस पर 370 रुपए दुर्घटना बीमा तथा 1138 रुपए सहकार धन सुरक्षा बीमा लिया जाता रहा है. इस राशि को बढ़ाकर 3800 रुपए कर दिया गया है. जो किसानों के साथ अन्याय है. इस बीमा धन की गुपचुप तरीके से वसूली भी की जा रही है. ऐसे में किसानों से इस बढ़ी हुई राशि की वसूली बंद करनी चाहिए. क्षेत्र में अधिकांश स्थानों पर किसानों को फसल बीमा राशि का भुगतान नहीं हो पाया है. सरकार के स्तर पर इस राशि के रुकने के कारणों की जांच कराकर किसानों को शीघ्र बीमा राशि जारी की जाए. संभाग भर में खरीफ 2021 में नष्ट हुई फसल की मुआवजा राशि दो साल बाद भी जारी नहीं हुई है. संभाग के मुआवजे से वंचित किसानों को शीघ्र मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए.


तीन दिन का अल्टीमेटम
किसानों ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर लहसुन उत्पादक किसान तहसीलदार, एसडीएम, जिला कलेक्टर के माध्यम से पूर्व में सरकार को चेता चुके हैं, लेकिन किसानों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अब संभागीय आयुक्त के माध्यम से अंतिम रूप से ज्ञापन देकर सरकार को चेता रहे हैं. इसके बाद भी सरकार नहीं चेती तो संभाग भर की मंडियों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कराया जाएगा.


लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मिले किसान


किसान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी मिले. लहसुन खरीदी की अड़चनों को दूर कराने की मांग की. लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि राज्य के प्रस्ताव पर केंद्र 2 जून को ही मंजूरी दे चुका है. जिसमें नियम पूर्वक आधी राशि वहन करने की बात भी है. अब खरीदी करने का काम राज्य सरकार का है.