Sangod: किसानों की मांग पर केंद्र सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना में लहसुन खरीद की घोषणा तो कर दी, लेकिन जो दाम सरकार ने तय किया है उससे किसान नाखुश हैं. 


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किसानों का कहना है कि महंगाई और लहसुन की उपज पैदावार में लागत बढ़ती जा रही है. वहीं, सरकार चार साल पहले से भी कम दाम पर लहसुन की खरीद करने की योजना बना रही है, जो किसानों के हित में नहीं है. 


यहां चैतन्य हनुमान मंदिर परिसर में हुई भारतीय किसान संघ की बैठक में भी क्षेत्र के किसानों ने लहसुन के दाम बढ़ाने की मांग पुरजोर शब्दों में उठाई. 
तहसील अध्यक्ष योगेंद्र मेहता ने बताया कि बाजार हस्तक्षेप योजना में सरकार ने लहसुन का दाम प्रति क्विंटल 2957 रुपये तय किया है, जो वर्ष 2018 के भावों से भी तीन सौ रुपये कम है. वर्ष 2018 में सरकार ने किसानों का लहसुन 3250 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा था. 


इन चार सालों में लहसुन की उपज की लागत भी बढ़ गई, तो महंगाई भी चालीस प्रतिशत बढ़ गई. ऐसे में लहसुन खरीद की घोषणा किसानों के लिए महज छलावा है. 


बैठक में जिला बीज प्रमुख जोधराज नागर, मोहन लाल पोटर एडवोकेट, तहसील मंत्री हरीश नागर, नगर अध्यक्ष प्रकाश नागर, सहकारिता प्रमुख पुष्पदयाल नागर, सहमंत्री अशोक नागर, किशन गोपाल नागर, उपाध्यक्ष ललित सुमन, लालचंद शर्मा समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे. 


किसान परेशान, नहीं कोई सुनने वाला
बैठक में किसानों ने बताया कि चने के खरीद केंद्र पर भी बीते चार दिनों से बारदाने की व्यवस्था नहीं है. इससे चने की खरीद भी प्रभावित हो रही है.  किसान परेशान हो रहे हैं, लेकिन किसानों की सुनने और उनकी पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है. 


राजस्व विभाग के कार्मिकों ने घर बैठे गिरदारी कर ली, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. बैठक के बाद संगठन के पदाधिकारी एसडीएम कार्यालय पहुंचे और अपनी मांग एवं समस्याओं को लेकर एसडीएम अंजना सहरावत को ज्ञापन सौंपा. 


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