Kota: लहसुन ने लाचार कर दिया है. किसानों की खून पसीने से सींची इस फसल के दाम फिलहाल उस जमीन पर आ पड़े हैं जहां से किसानों के लिए सीवाय बर्बादी के कुछ नहीं है. कर्ज में डूबे किसानों के सामने एक बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है. ऐसे में किसान केंद्र सरकार की बाजार हस्तक्षेप योजना पर अपनी निगाहें टिकाए हुए हैं और उम्मीद जगी भी है. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि अगले एक-दो दिन में इस पर फैसला लिया जा रहा है.


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1 और 2 रुपए किलो, फिलहाल कोटा की भामाशाह मंडी में इसी भाव में किसानों का लहसुन बिक रहा है. इस दाम के साथ मंडी तक लाने वाला किराया भी किसान नहीं निकाल पा रहे. ऐसे में किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. किसानों ने भामाशाह मंडी में अपना विरोध लहसुन की होली जलाकर के दिखाया. किसानों का कहना है कि आज फिर से वही हालात उनके सामने आ खड़े हुए हैं जो 2017-18 में बने थे. किसान आत्महत्या करने को मजबूर खड़ा है. क्योंकि किसानों को लहसुन एक बार फिर से बर्बादी के मोड़ पर लाकर के खड़ा कर रहा है. 


किसानों की लागत भी लहसुन के दामों से नहीं निकल पा रही .है 30 से 40000 बीघा का खर्चा लहसुन की पैदावार में आता है और यहां हालात ये हैं कि मंडी में कौड़ियों के भाव में लहसुन दिख रहा है. किसानों ने विरोध में आज भामाशाह मंडी में लहसुन की होली जलाई और केंद्र सरकार से मांग की कि जल्द ही किसानों के लहसुन की सरकारी खरीद शुरू हो बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत 5000 क्विंटल की दर से किसानों का लहसुन खरीदा जाए.


वहीं, इस पर प्रदेश सरकार प्रस्ताव बनाकर के केंद्र सरकार को भेज चुकी है. अब केंद्र सरकार की तरफ से इस पर अगले एक-दो दिन में ही बड़ा फैसला लिया जाएगा. दाम पर फैसला इस हिसाब से होगा कि किसानों को उनकी लागत का पूरा पैसा मिल पाए और नुकसान नहीं हो. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इस बात को लेकर किसानों को आश्वस्त किया है कि किसान लहसुन के दामों से परेशान है और केंद्र सरकार इसको लेकर जल्द फैसला लेने जा रही है. कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार के स्तर पर फैसला लेने में देरी हुई है और प्रस्ताव देरी से भेजा गया जिस वजह से किसानों को अब तक नुकसान उठाना पड़ा है.


केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के बयान के बाद एक बार उम्मीद जग गई है. उम्मीद टूटते किसानों और लहसुन के दामों के आगे बेबस और लाचार किसानों को फिर से जगी है ताकि उन्हें 2017-18 जैसे हालात फिर नहीं देखने पड़ेंगे. आत्महत्या के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा.


Report: Himanshu Mittal