Sangod: लहसुन की समर्थन मूल्य पर खरीद की सरकारी घोषणा के साथ ही गिरदावरी में हो रहे गड़बड़झाले सामने आने लगे हैं. किसानों ने सांगोद पहुंचकर तहसीलदार नईमुद्दीन से चर्चा की और समस्या समाधान की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा. भाजपा नेता महावीर सिंह खरखनाखेड़ी के नेतृत्व में तहसीलदार से मिलने पहुंचे किसानों ने बताया कि जल्द गिरदावरी को सही नहीं करवाया गया तो लहसुन उत्पादक किसानों की परेशानी बढ़ सकती है. 


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किसान चाहते हुए भी अपनी लहसुन की उपज कांटे पर नहीं बेच पाएंगे. मजबूरन किसानों को अपनी उपज कम दाम पर आढ़तियों को बेचनी पड़ेगी. उल्लेखनीय है कि ऐसे सैकड़ों किसान है जो सरकारी कारिंदों की कथित लापरवाही से समर्थन मूल्य पर अपनी लहसुन की उपज बेचने से वंचित रह सकते हैं. इन किसानों ने खेतों में लहसुन की बुवाई की. उपज कटकर घर एवं खलिहान में भी आ गई, लेकिन जब इन किसानों ने गिरदावरी नकल निकलवाई तो इनके खेतों में लहसुन की बजाय गेहूं, चना एवं सरसों की उपज दिखाई गई है. 


गिरदावरी में लहसुन नहीं होने से ऐसे कई किसानों को अपनी लहसुन की उपज समर्थन मूल्य पर नहीं बिकने की चिंता सता रही है. भाजपा नेता महावीर सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर होने वाली उपज खरीद में गिरदावरी को मुख्य आधार माना जाता है, लेकिन कई किसानों के खेतों और गिरदावरी में अलग-अलग फसलें दर्शा रखी है. जिन किसानों के खेतों में लहसुन की फसल थी उन खेतों में भी लहसुन की फसल नहीं दर्शाई गई. जब गिरदावरी में लहसुन नहीं है तो खरीद भी मुमकिन नहीं है.


ऐसे किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य पर बेच सके इसके लिए प्रसाशन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं, दूसरी ओर प्रशासन के सामने भी अब इसमें कई मुश्किल हैं. खेतों में फसल कट गई, कई किसानों ने मिट्टी को धूप देने की मंशा से खेतों की हंकाई जुताई कर दी तो कई किसानों ने फसल के अवशेषों को नष्ठ कर दिया. ऐसे में अब किस किसान के खेत में किसकी फसल थी इसकी जांच करना भी प्रसाशन के लिए चुनोतिभरा साबित होने वाला है.


Reporter: Himanshu Mittal


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