राजस्थान में किसानों को छल रहीं फर्टिलाइजर कंपनियां, ऐसे करते हैं मिलावट का खेल, गुणवत्ता जांच में 42 सैंपल फेल
Fertilizer companies cheating in Rajasthan, Kota: राजस्थान में मिलावट का खेल किसानों पर भारी पड़ रहा है, कोटा से फर्टिलाइजर में मिलावट को लेकर बड़ी खबर है. किसान खाद और बीज के लिए परेशान हो रहा है, खाद को पाने के लिए किसानों को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ किसान का खरीदा हुआ खाद, बीज और दवा के नमूने भी फेल होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
Fertilizer companies cheating in Rajasthan, Kota: राजस्थान के कोटा संभाग में इस साल कृषि विभाग ने 2332 नमूने खाद, बीज और दवा के लिए थे, जिनमें से 42 नमूने फेल हुए हैं. जिन कंपनियों के खाद बीज फेल हुए हैं, उन्हें पुनः निरीक्षण की सहूलियत दी गई है. ऐसे में 28 नमूने दोबारा पुनः निरीक्षण में फेल हो गए हैं, जबकि इनमें से 23 के खिलाफ न्यायालय में कोर्ट केस भी दाखिल कर दिया गया है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामअवतार शर्मा ने बताया कि बाकी बचे नमूनों का पुनः निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. बीते साल तीन जगह पर नकली खाद कोटा संभाग में पकड़ा गया था. इसमें एक बड़ी फैक्ट्री भी शामिल है. इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कृषि विभाग ने की है.
कैसे करें डीएपी की पहचान
नकली और असली खाद को पहचानना बहुत मुश्किल काम है. आमतौर पर खाद के दाने को हाथ में लेते ही बहुत कुछ पता चल जाता है, लेकिन यह कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं है. डीएपी यह सख्त, दानेदार, भूरा, काले रंग का होता है और नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता. असली डीएपी की पहचान के लिए डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मसलें, यदि उसमें से तेज गंध निकले, जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए तो समझें कि ये डीएपी असली है. साथ ही डीएपी को अगर धीरे-धीरे गर्म प्लेट में गर्म किया जाता है, तो इसके दाने फूल जाते हैं.
कैसे करें असली यूरिया की पहचान
हम यूरिया को भी चेक कर सकते हैं. यूरिया के असली दाने सफेद, चमकदार, आकार में एक समान और गोल आकार के होते हैं. जब घोल को छुआ जाता है, तो यह पानी में पूरी तरह से घुलनशील होता है और ठंडा महसूस होता है. गर्म प्लेट में रखने पर यह पिघल जाता है.
किसान खुद भी करवा सकते हैं जांच
संयुक्त निदेशक शर्मा ने बताया कि किसान अपने इलाके के कृषि पर्यवेक्षक से खाद, कीटनाशक और बीच की जांच के लिए बात कर सकता है. जिसके बाद कृषि पर्यवेक्षक इस सूचना पर इंस्पेक्टर आकर नमूने ले लेगा, जिनका लैब में टेस्ट होगा. यह सैंपल फेल होने पर संबंधित डीलर, स्टॉकिस्ट और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई होगी.
शर्मा ने किसानों को यह भी आगाह किया है कि लाइसेंस धारी अधिकृत विक्रेता या डीलर से ही माल खरीदें. उत्पाद खरीदते समय उसका बिल जरूर लें. नकली उत्पाद बेचने वाले लोग बिल देने से कतराते हैं. बिल होने पर ही खाद की जांच किसान करवा सकेगा. गांवों में आकर अनाधिकृत रूप से खाद बेचने वाले लोगों से खाद खरीदने से भी किसानों को बचना चाहिए.
79 फीसदी लक्ष्य के लिए नमूने, खाद के पूरे
बीज के आधे भी नहीं : कृषि आयुक्तालय दवा, बीज और फर्टिलाइजर के गुण नियंत्रण के लिए प्रत्येक इंस्पेक्टर को सालाना लक्ष्य दिए जाते हैं. कोटा संभाग में 2921 लक्ष्य के विरुद्ध 2332 नमूने लिए जा चुके हैं. यानी कुल लक्ष्य का अभी तक 79 फीसदी टारगेट पूरा हुआ है. जिनमें कीटनाशक के 476 में 341, खाद के 1420 की जगह 1480 और बीज के 1025 में 411 नमूने लिए हैं. खाद में लक्ष्य से ज्यादा नमूने लिए हैं, बीज के नमूने में लक्ष्य काफी पिछड़ा हुआ है. ये 50 फीसदी से भी कम है. फेल नमूने के संबंध में संयुक्त निदेशक शर्मा ने बताया कि जिस फर्म या कंपनी का नमूना फेल हुआ है, उसे पुनः परीक्षण का अधिकार प्राप्त है. कृषि आयुक्तालय से खाद व न्यायालय से बीज के लिए अनुमति मिलने पर पुनरीक्षण के स्वीकृति मिलती है.
रेंडमली किसान साथी पोर्टल जारी करता है लेबोरेटरी
रामावतार शर्मा ने बताया कि नमूने लेने के बाद जांच का पूरा पारदर्शी सिस्टम होता है. जिसमें इंस्पेक्टर और लैब का सीधा सिस्टम है. लैब का एलॉटमेंट भी किसान साथी पोर्टल के जरिए ही होता है. जिसमें रेंडमली लैब एलॉट की जाती है. राजस्थान में खाद की 6 व बीज की 5 लैब है. नमूना जांच के लिए कहां गया है, यह केवल इंस्पेक्टर को ही जानकारी होती है और किसी व्यक्ति को नहीं. ट्रांसपेरेंसी के साथ काम होता है, सैम्पल फेल हो जाता है, तो निर्माता फर्म, डीलर और सप्लायर पर कार्रवाई होती है. जिसमें कोर्ट में इस्तगासा के जरिए चालान पेश किया जाता है.
स्टोरेज ठीक से नहीं होना भी सैंपल फेल होने का कारण
संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा ने यह भी तर्क दिया है कि नमूने फेल होने का एक बड़ा कारण स्टोरेज भी होता है. माल सही बनकर कंपनी से आता है, लेकिन उसका रखरखाव सही से नहीं होने के चलते वह खराब हो जाता है या उसकी गुणवत्ता कमजोर हो जाती है. इसके चलते भी नमूने फेल होते हैं.
उन्होंने बताया कि अगर धूप में खाद को रख दिया जाता है, तो भी नमूने फेल होने के चांस बढ़ जाते हैं. साथ उनका कहना है कि जितने भी नमूने फेल होते हैं. किसानों को उसका उपयोग करने से फसल को नुकसान हो, ऐसा भी नहीं है. नमूना फेल होने में निर्धारित मात्रा से कम प्रतिशत में कंटेंट होना भी शामिल है. साथ ही उन्होंने कहा कि डीएपी के सैंपल फेल होने में जहां फास्फोरस 46 प्रतिशत और नाइट्रोजन 18 प्रतिशत होती है. यह मात्रा कम होने पर भी खाद का सैंपल फेल हो जाता है.
पकड़ में आई थी नकली एसएसपी की फैक्ट्री, अभी भी सील
कोटा संभाग में बीते साल प्रदेश की तरह ही डीएपी की कमी (Lack of Fertilizer in Kota) सभी जगह थी. इसकी जगह पर किसानों को एसएसपी का उपयोग करने की सलाह दी गई थी, जिसके बाद भवानी मंडी में एक नकली डीएपी की फैक्ट्री पकड़ में आई थी. बीते साल भवानी मंडी के आसपास नकली फैक्ट्री पकड़ी थी जिसमें नकली पैकिंग किया जा रहा था. उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. वह फैक्ट्री अभी भी सीज की हुई है. उन्होंने बताया कि मशीनरी में करीब ढाई करोड़ का इनवेस्टमेंट है. उसके खिलाफ कार्रवाई चल रही है.
उन्होंने यह पार्टी मध्यप्रदेश की है, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. साथ ही कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. जो भी निर्णय होगा वह न्यायालय के जरिए होगा. इसी तरह से बारां जिले में भी पिकअप में लोगों को डीएपी बेचने के बहाने पेमेंट लेकर पिकअप से गया था. रामावतार शर्मा ने बताया कि पिकअप को पकड़कर भी हमने खानपुर और बारां में कार्रवाई की थी.
दोनों जगह एफआईआर दर्ज हुई थी. उनके खिलाफ कोर्ट में मामला लंबित है. इसी तरह से नैनवा में भी मामला आया था जहां पर कुछ लोगों को नकली खाद एक वाहन चालक बेच कर फरार हो गया था.
इन कंपनियों के खिलाफ कोर्ट में मामले या सैंपल हुए फेल
संयुक्त निदेशक शर्मा का मानना है कि सबसे ज्यादा सिंगल सुपर फास्फेट के नमूने फेल होते हैं. जबकि डीएपी और यूरिया के नमूने भी फेल हुए हैं. साल 2016 के बाद में कोटा जिले में जिन खाद उत्पादक कंपनियों के उर्वरक फेल हुए हैं. उनमें पटेल फार्मकेम लिमिटेड उदयपुर, रामा फास्फेट लिमिटेड उदयपुर, अरावली फास्फेट लिमिटेड उदयपुर, दयाल फर्टिलाइजर्स मेरठ,ब्लू फास्फेट लिमिटेड उदयपुर, इंडियन पोटाश लिमिटेड, निर्मल सीड्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रभात फर्टिलाइजर एंड केमिकल शामिल है. इसी प्रकार से हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड, कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड और जगदंबा फास्फेट लिमिटेड, चंबल फर्टिलाइजर एंड केमिकल लिमिटेड कोटा, खंडेलवाल एग्रो इंडस्ट्रीज बरेली व भारत एग्रो मॉलिक्यूल परतापुर मेरठ शामिल है.
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