Kota News:नीट परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को डीएम डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने किया मोटिवेट,कहा-फेल होकर पास होने का मैं परफेक्ट एक्जाम्पल हूं
Kota News:राजस्थान के कोटा में कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों में सकारात्मकता लाने और उत्साहवर्धन के लिए जिला प्रशासन के प्रयास हर स्तर पर जारी हैं.यहां विद्यार्थियों से संवाद में उनके सवालों के जवाब दिए तथा उनके साथ अपने अनुभव साझा किए.
Kota News:राजस्थान के कोटा में कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों में सकारात्मकता लाने और उत्साहवर्धन के लिए जिला प्रशासन के प्रयास हर स्तर पर जारी हैं.इन्हीं प्रयासों के तहत नीट की परीक्षा में शामिल होने जा रहे विद्यार्थियों को मोटिवेट करने के लिए जिला कलक्टर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी बुधवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित समुन्नत सभागार में पहुंचे.
यहां विद्यार्थियों से संवाद में उनके सवालों के जवाब दिए तथा उनके साथ अपने अनुभव साझा किए.उत्साह के साथ परीक्षा देते हुए सफलता की ओर बढ़ने के लिए शुभकामनाएं दी.जिला कलक्टर डॉ. गोस्वामी ने विद्यार्थियों से संवाद करते हुए सोशल मीडिया के सवाल पर कहा कि ना तो मैं इंस्टा पर हूं,ना ट्विरटर पर हूं, मैं यहां हूं.वो आभासी दुनिया है.इससे कुछ नहीं होता. हो सकता है ये उपयोगी हो, लेकिन अभी आपकी उम्र में और जिस लक्ष्य के लिए आप आए हैं उस उद्देश्य में ये आपके दुश्मन हैं.
आप जिस दिन कामयाब हो जाओगे फोलोअर्स खूब मिल जाएंगे. अभी ये बाधा के अलावा कुछ नहीं. इन्हें अपने मोबाइल से हटा दो. हम वो करें जो काम अच्छा हो, क्योंकि अच्छा काम करने के बाद उत्साह मिलता है. बुरा काम करके भारीपन मिलता है. हम इंस्टा पर एक घंटा बिताने के बाद जब सोचते हैं तो लगता है एक घंटा खराब हो गया. इसलिए यह गलत है.
सफलता से पहले असफलता की बात पर डॉ.रविन्द्र गोस्वामी ने कहा कि मैं फेल होकर पास होने वाला परफेक्ट एक्जाम्पल हूं. प्री मेडिकल एग्जाम पीएमटी, प्रीपीजी, आर्मी कैप्टन, यूपीएससी सभी एग्जाम में पहली बार में मुझे सफलता नहीं मिली. सब में दूसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की. यूपीएससी में सफल हुआ तो मनपसंद पद नहीं मिल रहा था तो दुबारा दी.
मैंने सपना देखा था किसी आईएएस से हाथ मिलाऊं, जब सफल हुआ तो कमरे में गया जोर से चिल्लाया और फिर खुद से हाथ मिलाया. मैं पहला आईएएस हूं जिससे मैंने हाथ मिलाया. इसलिए अपना मुकाबला खुद से रखो.
तुलना दूसरों से मत करो. सभी की परिस्थितियां अलग-अलग है. न ताना मारने वालों से विचलित होवें न प्रशंसा से. हमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं. मुहब्बत मंजिल से करनी है, रास्तों से नहीं.
एक अन्य छात्र के सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि अपने शौक जिंदा रखिए.रोजाना कुछ समय भी दीजिए, जिस दिन टेस्ट दो उसके बाद अपने शौक को समय दो. रोजाना 7-8 घंटे पढ़ें और इसके अलावा जो आपको करना है करो. नियमित और अनुशासित मेहनत से आप आसानी से सफल हो सकते हैं.
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