लंपी स्किन रोग से बचाव के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन, पशुपालकों को किया जागरूक
राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा संचालित पशु विज्ञान केंद्र, ग्राम-ब्रजनगर में राजकीय पशुचिकित्सालय अरण्डखेड़ा के समन्वय से ’’लम्पी स्किन रोग: बचाव एंव उपचार’’ विषय पर एक दिवसीय ऑफ कैम्पस पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। डाॅ अतुल शंकर अरोड़ा, प्रभारी
कोटा: राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा संचालित पशु विज्ञान केंद्र, ग्राम-ब्रजनगर में राजकीय पशुचिकित्सालय अरण्डखेड़ा के समन्वय से ’’लम्पी स्किन रोग: बचाव एंव उपचार’’ विषय पर एक दिवसीय ऑफ कैम्पस पशुपालक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
डाॅ अतुल शंकर अरोड़ा, प्रभारी अधिकारी ने बताया कि लम्पी स्किन रोग/गांठदार त्वचा रोग मुख्यतः गोवंश भैंस वंश मे होने वाला एक वायरस जनित रोग है ये रोग रक्त चूसने वाले कीटो/कीड़ो जैसे मख्खी, मच्छर एंव टिक्स आदि से फैलता है. इस रोग से ग्रसित पशु की त्वचा पर लाल व सफेद चकते, उभरी हुई गांठे एंव खुजली वाले घाव हो जाते है। साथ ही तेज बुखार भी आता है। पशु दाना पानी छोड देता है। आंखो व नाक से स्त्राव आते है और दुधारू पशुओ मे दुग्ध उत्पादन भी कम हो जाता है। पशु मे इस रोग के लक्षणों को देखते ही उपचार करवाने पर पशु जल्दी ही ठीक हो जाता है। उपचार मे देरी करने पर जीवाणुओ द्वारा द्वितीयक संक्र्रमण की संभावना बढ़ जाती है.
पशुओं मे इस तरह के लक्षण प्रकट होते ही तुरंत नजदीकी पशुचिकित्सालय मे सूचना देते हुए पशुचिकित्सक से उपचार अवश्य करवाना चाहिए एंव चार माह से अधिक उम्र के स्वस्थ पशुओं में टीकाकरण करवाना चाहिए.
डाॅ संजय मीणा ने बताया कि लम्पी स्किन रोग से ग्रसित पशुओं मे संतुलित आहार की पूर्ति बहुत ही आवश्यक है क्योंकि संतुलित आहार से पशुओ की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पशु आहार मे मक्का, ज्चार, चापड़, चूरी, गुड़, अजवाइन, जीरा एंव खल के साथ खनिज लवण, विटामिन्स व नमक भी अवश्य होना चाहिए. संतुलित आहार के लिए अपनाएं जाने वाले विभिन्न अव्यवों की उचित मात्रा एंव बनाने की विधि के बारें में बताया। प्रशिक्षण के दौरान पशुपालकों की शंकाओं का भी समाधान किया गया। इस एक दिवसीय ऑफ केम्पस् पशुपालक प्रशिक्षण शिविर मे 28 पशुपालकों ने भाग लिया.