Kota: राजपुरा गांव पेटेंड स्ट्रोक पक्षियों को इतना रास आने लगा है कि यहां पर इनकी बस्ती बननी शुरू हो गई है.  वन्यजीव प्रेमियों और जूलॉजी डिपार्टमेंट के लोगों में इसका खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. क्योंकि मौसम बदलते ही इन पक्षियों ने राजपुरा का रुख किया और यहां पर प्रजनन कर से इनका कुनबा के साथ ही इनकी बस्ती बनने लगी है. 


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शहर के प्रवासी अप्रवासी पक्षियों को खासी रास आ रहे हैं. कोटा शहर के तालाब और कोटा शहर का राजपुरा तालाब अप्रवासी पक्षी पेटेंट स्टॉक को बेहद रास आया है. मौसम का मिजाज बदलते ही जलाशयों पर इन परदेसी पक्षियों के आने का क्रम शुरू हो जाता है. स्थानीय पक्षियों ने भी यहां पर डेरा डाला हुआ है, लेकिन राजपुरा के तालाब में इस वर्ष फिर से पेटेंड स्ट्रोक को खासा लुभाया है और यहां पर इनकी बस्ती बन गई है. 


लोगों को लुभा रहे हैं यह खास पक्षी


कोटा से करीब 25 किलोमीटर दूर कैथून क्षेत्र के राजपुरा के तालाब में 300 के करीब पेटर्न स्ट्रोक पक्षियों के होने की पुष्टि हुई है. खास बात यह है कि इन दिनों में इन पक्षियों के नीड नए मेहमानों के आने से चहकने लगते है. इस वर्ष इनकी संख्या गत वर्षो की तुलना में काफी अधिक है. नेचर प्रमोटर एन एच जैदी की माने तो राजपुरा में पैटर्न स्टॉप पक्षियों से रौनक नजर आ रही है. हर साल ये पक्षी यहां का रुख करते हैं लेकिन इस बार इनकी संख्या काफी ज्यादा है. यह पक्षी लोगों को लुभा रहे हैं और अब यहां इनकी बस्ती बन चुकी है.


वहीं राजकीय महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर राजेंद्र सिंह राजावत की माने तो क्षेत्र के जलाशय इन पक्षियों को आकर्षित कर रहे हैं. गत वर्षो से पेटेंट स्टॉक को यहां का माहौल और वातावरण रास आ रहा है. लेकिन 5 वर्ष पहले पहली बार राजपुरा के तालाब में 2017 में पेटेंट स्टाफ ने बस्ती बनाई थी. पहले ही वर्ष में डेढ़ सौ के करीब घोंसले बने थे. इसके बाद गत वर्ष पक्षी अन्य स्थानों पर चले गए थे, यहां नहीं आए थे. लेकिन इस बार दोबारा से इस क्षेत्र में पेटेंट स्टोर की बस्तियां नजर आने लगी हैं.


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ऐसे दिखते हैं यह पक्षी  


आपको बता दें यह पक्षी बेहद आकर्षक होते हैं लंबी व आकर्षक चोंच शरीर पर सफेद पर काली पट्टी खास होती है प्रजनन काल में इनकी खूबसूरती बेहद आकर्षित करती है छीतले पानी वाले जलाशय इन्हें बेहद लुभाते हैं. कोटा के अलावा मछली, केकड़ी को ये पंछी चाव से खाते हैं. लंबी चोंच शिकार में इनके लिए मददगार साबित होती है. बारिश के बाद यह पक्षी अपनी जोड़ियां बनाते हैं और प्रजनन करते हैं.


खासतौर से इन पक्षियों के चूजों की विशेष ध्वनि से यह माता-पिताओं को आकर्षित करते हैं. इसके साथ ही माता-पिता भी इनसे लड़ाई करते हुए देखे जाते हैं. यह अपने चूजों की हर डिमांड को पूरा करते हैं. इनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था भी यह पक्षी करते हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 2017 में इन पक्षियों के 150 घोंसले और इतनी ही जोड़े यहां आए थे. 2018 में करीब 200 घोंसले और जोड़े थे. 2019 में 275 ,2020 में 300 और 2022 के अंदर 300 से ज्यादा इन पक्षियों के घोंसले हैं और अब इनकी एक बस्ती बन चुकी है.