कोटा डोरिया की साड़ियों ने देश ही नहीं, विदेशों में लहराया परचम, 100 साल से पुराना है इतिहास
Kota News: कोटा में बनने वाली कोटा डोरिया साड़ियों ने देश-प्रदेश सहित विश्व में अपनी पहचान कायम की है. कोटा डोरिया की इन साड़ियों ने कोचिंग सिटी के ख्याति में चार चांद लगाए हैं. कोटा से 15 किलोमीटर दूर कैथून में ये साड़ियों हाथों से तैयार की जाती हैं. यहां बुनकरों के हुनर के परदेसी भी कायल हैं. कोटा डोरिया साड़ी का इतिहास करीब 100 सालों से अधिक पुराना है.
साड़ी को महत्व मिलने लगा
कोटा राज परिवार ने इस प्रकार की कला को संरक्षण दिया था. वहीं से इस साड़ी को महत्व मिलने लगा. मैसूर आए कुछ परिवारों ने कैथून में कोटा डोरिया साड़ी बनाने का काम शुरू किया था और वह वक्त के साथ-साथ बढ़ता चला गया. कोटा डोरिया साड़ी की खास और अहम बात यह है कि इसे तैयार करने में मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता. यह पूरी तरह से हाथों से ही तैयार की जाती है.
प्रतिदिन 400 से 500 साड़ियां बनाई जाती
नगरपालिका कैथून की अध्यक्ष हरिओम पुरी ने बताया कि इस व्यवसाय के कैथून में लगभग 4000 पिटलूम (हथकरघा) है. इनसे करीब 8 हजार अब अधिक लोग बुनाई करते है. जबकि, आसपास के 12 गांव में 500 पिटलूम है. यहां प्रतिदिन 400 से 500 साड़ियां बनाई जाती है. कोटा डोरिया साड़ी का सालाना करोबार 70 से 80 करोड़ के आसपास रहता है. ये साड़ियां दक्षिण भारत सहित अन्य बड़े शहरों में काफी पसंद की जाती हे.
कोटा डोरिया साड़ियों को मिला है जीआई टैग
कोटा डोरिया को खास भौगोलिक पहचान के लिए भारत सरकार से इसे जीआई मार्क मिला हुआ है. ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (भौगोलिक सीमांकन) मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलती है और साथ ही अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान की मार्केटिंग भी नहीं कर सकते हैं.यानी 12 गांव के अलावा अन्य कहीं ये साड़ियां बनाना अवैध है.
नकल की रोकथाम की जा सके
कैथून सहित करीब 12 कस्बों में हथकरघा से कोटा डोरिया साड़ी व सूट निर्माण करने वाले बुनकरों को जीआई टैग दिया गया है. ताकि नकल की रोकथाम की जा सके. जीआई टैग मिलने से करीब पचास देशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों तक यह उत्पाद पहुंच रहा है. कैथून में कोटा डोरिया साड़ी बनाने के लिए बुनकरों को प्रशिक्षण सुविधा देने के लिए कामन फेसिलिटी सेंटर बनाया गया है. वहां बुनकरों को रंगाई, बुनाई व डिजाइन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. बुनकरों का उत्साह वर्धन करने के लिए अच्छी डिजाइन बनाने वाले को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से समय-समय पर अवार्ड दिया जाता है.
क्यों खास हैं कोटा डोरिया की साड़ियां?
कोटा डोरिया की साड़ी वजन में हल्की होती है. इसे बनाने में असली रेशम के साथ साथ सोने और चांदी की जरियों का काम होता है. सादा साड़ी से डिज़ाइनर साड़ी बनाने में अलग अलग वक्त लगता है. सादा साड़ी की कीमत 1500 रुपये से शुरू है. जबकि, डिजाइनर साड़ी की कीमत 15 से 40 हजार तक होती है. एक सिंपल साड़ी तैयार करने 5 से 7 दिन का वक्त समय लगता है. जबकि, डिज़ाइनर साड़ी बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगता है.