Lok Sabha Election 2024 : `बाप`-कांग्रेस गठबंधन पर शाम तक तस्वीर होगी साफ, MP-गुजरात की सीटों पर फंसी बात
Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी के बीच गठबंधन की अटकलें तेज थीं. लेकिन सीटों के बटवारे को लेकर गठबंधन की बात सिरे चढ़ते नहीं दिख रही.
Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले भारत आदिवासी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलों पर तस्वीर साफ नहीं हो रही है. इसको लेकर शाम तक इंतजार करना पड़ सकता है. बताया जा रहा है, कि 'बाप' राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी सीटों की साझेदारी को लेकर अड़ी हुई है, लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं. अब देखना ये है, कि गठबंधन के मामले में बात सिरे चढ़ती है या नहीं.
राजस्थान में हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
राजनीतिक जानकारों का कहना है, कि राजस्थान की कई सीटों पर भारत आदिवासी पार्टी का खासा प्रभाव है. दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी पहले से ही मजबूत स्थिति में है, और कांग्रेस पिछले दो लोकसभा चुनावों में करारी हार झेलने के बाद, पलटवार करने की कोशिश करेगी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं, कि अगर कांग्रेस-बाप के बीच गठबंधन नहीं हुआ, तो सूबे की कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है. सूत्रों की मानें तो, बाप राजस्थान के अलावा, एमपी और गुजरात की लोकसभा सीटों पर अपनी हिस्सेदारी चाहती है, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं करना चाहती.
किन सीटों पर हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें, कि 'बाप' ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से चौरासी विधायक राजकुमार रोत को मैदान में उतारा है, जिनकी टक्कर भारतीय जनता पार्टी के महेंद्रजीत मालवीय से होगी. वहीं, कांग्रेस ने यहां से अभी तक कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. कयास लगाए जा रहे हैं, कि कांग्रेस की ओर से बांसवाड़ा-डूंगरपुर से अपना प्रत्याशी ना उतारने की मुख्य वजह BAP से गठबंधन की संभावना हो सकती है. लेकिन अगर दोनों के बीच गठबंधन की बात सिरे नहीं चढ़ती, तो कांग्रेस यहां से पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा, बांसवाड़ा विधायक अर्जुनसिंह बामनिया या उप जिला प्रमुख विकास बामनिया को मैदान में उतार सकती है.
वहीं, जानकारों का कहना है, कि आदिवासी बहुल बांसवाड़ा के अलावा चित्तौड़गढ़ और उदयपुर लोकसभा सीट पर भी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. इसकी मुख्य वजह है, कि यहां भी आदिवासी मतदाताओं की खासी तादाद है. ऐसी सुगबुगाहट है, कि बाप इन सीटों पर भी अपने प्रत्याशियों को चुनावी दंगल में उतार सकती है.