Nagaur: नागौर जिले में चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत काम कर रही आरबीएसके चिकित्सकीय टीमों द्वारा चिन्हित किए गए जन्मजात बीमारी से ग्रसित बच्चों, नौनिहालों और किशोर-किशोरियों का कैशलेस इलाज किया जा रहा है. अब इस कवायद को और प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए जिला कलेक्टर पीयूष समारिया ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए है.


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जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मेहराम महिया ने भी इसे लेकर जिला प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुश्ताक अहमद और जिला कार्यक्रम समन्वयक, आरबीएसके डॉ. शुभकरण धोलिया को आवश्यक कार्ययोजना बनाकर काम को संपूर्णता प्रदान करने के निर्देश दिए है. 


मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महिया ने बताया कि जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले में विभाग की आरबीएसके टीमों द्वारा हैल्थ स्क्रीनिंग के दौरान चिन्हित किए गए जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों का मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में डिजीज ट्रिटमेंट पैकेज की उपलब्धता के अनुसार कैशलेस उपचार जल्द से जल्द करवाया जाएगा.


जिला प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुश्ताक अहमद ने बताया कि जिले में नियुक्त 22 आरएबीसके हैल्थ टीमों द्वारा चिन्हित जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों में से वर्तमान में केवल 80 नौनिहाल और किशोर-किशोरी ऐसे हैं, जिनका कैशलेस उपचार होना है. ये सभी बच्चे, नौनिहाल और किशोर-किशोरी जन्मजात दिल में छेद की बीमारी से ग्रसित हैं. 


डॉ. मुश्ताक ने बताया कि इन बच्चों के अभिभावकों से आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ. शुभकरण धोलिया और उनकी टीम के माध्यम से संपर्क किया गया है और साथ ही राज्य के जिन अस्पतालों में मुख्यमंत्री चिरंजवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इनकी कैशलेस हार्ट सर्जरी संभव है. वहां भी पंजीकरण की प्रक्रिया जारी हैं. दिल में छेद की जन्मजात बीमारी से ग्रसित जो बच्चा, किशोर और किशोरी, जिस गांव-ढाणी और कस्बे में चिन्हित किया गया है. वहां संबंधित ब्लॉक की आरबीएसके टीम के चिकित्सक द्वारा उनके अभिभावक से फिर संपर्क किया गया है. 


वहीं आरबीएसके के जिला कॉर्डिनेटर डॉ. शुभकरण धोलिया ने बताया कि दिल में छेद की जन्मजात बीमारी से अलावा कटे होंठ, कटे तालू, मुड़े पैर, कान में जन्म से बधिरता की शिकायत जैसी बीमारियों से ग्रसित बच्चों और किशोर-किशोरी का कैशलेस उपचार करवाया जा रहा है. वर्तमान में इन जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चा, किशोर-किशोरी उपचार से वंचित नहीं है. साथ ही आरबीएसके टीमों द्वारा सरकारी स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और मदरसा में हैल्थ स्क्रीनिंग चालू है.


निकटवर्ती सरकारी चिकित्सा संस्थान में दें सूचना
जिला प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुश्ताक अहमद ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 40 तरह की बीमारियों से ग्रसित 0 से 18 वर्ष की आयु तक के बच्चों और किशोर-किशोरियों का कैशलेस उपचार संभव है. इन बीमारियों से ग्रसित बच्चों का चिन्हीकरण करने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रत्येक ब्लॉक पर दो चिकित्सकीय दल आंगनबाड़ी केन्द्र, मदरसा और सरकारी स्कूलों में हैल्थ स्क्रीनिंग का काम कर रही है. 


इसके साथ ही 0 से 18 वर्ष तक तक की आयु के बच्चों, किशोर और किशोरी, जो कि जन्मजात बीमारी से ग्रसित है, उसका अभिभावक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मदरसा और सरकारी शिक्षक, इसके बारे में संबंधित सरकारी चिकित्सा संस्थान के माध्यम से खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी और आरबीएसके चिकित्सकीय दल को इसकी सूचना दे सकता है जिससे उनका उपलब्ध पैकेज के अनुसार निर्धारित अस्पताल में कैशलेस उपचार करवाया जा सके.


ढाई साल की निशा को मिला नया जीवन
नागौर जिले के कुचामन ब्लॉक के मूनपुरा गांव के किसान दिनेश के घर में 23 दिसम्बर 2019 को किलकारी गूंजी और लक्ष्मी के रूप में बेटी ने जन्म लिया. नवजात शिशु का नाम रखा गया निशा, जिसकी आयु बढ़ने के साथ-साथ सांस लेने में अधिक तकलीफ रहने लगी. डॉक्टरों को दिखाया और जांच करवाई तो पता चला कि इस सवा साल की बच्ची के दिल में जन्म से ही छेद है, यह सुन दिनेश के घर में खामोशी सी छा गई. मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना ने दिनेश की इसी खामोशी को खुशी में तब्दील कर दिया. 


आरबीएसके टीम कुचामन ब्लॉक के डॉ. विकास पारीक द्वारा 28 फरवरी 2022 में रेफर किए गए. इस केस में निशा का जयपुर के इंडस हॉस्पिटल में सफल ऑपरेशन हुआ और वो भी कैशलेस. उषिका की ओपन हार्ट सर्जरी 25 जून को हुई, अब वह ठीक है. वहीं निशा के पिता दिनेश और उसका परिवार अपनी लाडली को जन्मजात बीमार से निजात दिलाने में संजीवनी बनी. इस जन स्वास्थ्य कल्याणकारी योजना के प्रति मुख्यमंत्री का धन्यवाद देते नहीं थकते है.


Reporter: Damodar Inaniya


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