Nagaur: पुलिस का स्लोगन आमजन में विश्वास अपराधियों में डर इन दिनों सही मायने में नजर आ रहा है. नागौर जिले में इन दिनों अवैध मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले हो या अवैध हथियारों की तस्करी करने वाले या फिर अवैध खनन करने वालों की इन दिनों नींद उड़ चुकी है. मादक पदार्थ तस्करों की ऐशगाह माने-जाने वाले नागौर में खलबली मची हुई है. 


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इस साल औसतन हर दूसरे दिन यह काला कारोबार पकड़ा जा रहा है. अभी पांच महीने में लगभग 80 मामलों पर कार्रवाई कर भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद कर लगभग 97 तस्कर गिरफ्तार किए है. मजबूत मुखबिर की सूचना पर पुलिस की मुस्तैदी ऐसी की चावल या फिर नमक के कट्टों के बीच अवैध सप्लाई के लिए जा रहा तस्करों का कारोबार बच नहीं पा रहा है. 


एसपी राममूर्ति जोशी ने बताया कि तस्करों के नित-नए जतन फ्लॉप साबित हो रहे हैं. पग-पग पर फैलते नशे के कारोबार पर पुलिस की दबिशें नाकबंदी को देखते हुए तस्कर अब सड़क के बजाय रेल मार्ग की तरफ मूव करने लगे हैं. पुलिस ने यहां भी अपना जाल बिछा दिया है. पूरे राजस्थान में मादक पदार्थ तस्करों पर कार्रवाई में इस साल अभी तक नागौर टॉप पर है.


एसपी राममूर्ति जोशी ने बताया कि मादक पदार्थ तस्करों से पूछताछ के बाद नई-नई बातें सामने आई हैं. इस साल पकड़ में आए शातिरों में से एक तिहाई तो बरसों से कारोबार में लिप्त हैं, बाकी नए लोगों को ये कूरियर की तरह इस्तेमाल करते हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों की धरपकड़ और तस्करों से पूछताछ के बाद जो खुलासे हुए, उसने पुलिस के भी कान खड़े कर दिए. कोई दस साल से तो कोई बारह साल से, इस कारोबार में लिप्त है. कमाल ये कि महीने में बाहरी जिलों से भारी मात्र में पांच-सात बार सप्लाई लाने वाले ये कभी पकड़ में नहीं आए.


जनवरी से मई तक पकड़ में आए 97 में से एक तिहाई शातिर ऐसे निकले जो बाहरी राज्य/जिलों से मादक पदार्थ की खेप लाते और गांवों तक पहुंचाते पर मजाल है, जो पुलिस की नजर में आए. पुलिस का मुखबिर तंत्र फेल था या सांठगांठ, इनको कभी कोई परेशानी नहीं आई. बाइक से लेकर कार ही नहीं, ट्रैक्टर से लेकर ट्रक तक में ये मादक पदार्थों की तस्करी खुलेआम करते रहे. पिछले कुछ सालों के पुलिस रेकॉर्ड को खंगाला गया तो हुई कार्रवाई यह बताने के लिए काफी है कि यह भी नाकाफी रही.


बीस-पच्चीस साल पुराने पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि नशे का यह कारोबार 1990 के बाद से जिले में पैर पसारता रहा. अफीम-डोडा-पोस्त के बाद नए-नए मादक पदार्थ अपनी पकड़ बनाते रहे, नई पीढ़ी को वर्ष 2000 के बाद से अपने चंगुल में लेना शुरू कर दिया. इस पर भी पुलिस की सुस्ती कहें या फिर लापरवाही गिनी-चुनी कार्रवाई हुईंय तस्कर अपनी जड़ें जमाते रहे और पुलिस के ही आंकड़ों पर नजर डालें तो यह सामने आ जाता है कि महीने में इक्का-दुक्का कार्रवाई होती थी. वर्ष 2017 में पूरे साल केवल 31 मामले दर्ज हुए, यही हाल वर्ष 2018 का था. 


वर्ष 2019 में 32 तो वर्ष 2020 में 36 कार्रवाई यानी मामले दर्ज हुए, यानी इन चार साल में 130 मामलों में औसतन हर माह तीन मामले भी नहीं पकड़े गए जबकि यह वो दौर था जब मादक पदार्थ को लेकर पूरे देशभर में अभियान चल रहे थे. पिछले साल यानी वर्ष 2021 में 56 मामलों पर कार्रवाई हुई और 114 जने गिरफ्तार हुए. नागौर पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी ने बताया कि क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे कारोबार को रोकने के लिए लगातार जिले में कारवाई की जा रही है, वहीं इस प्रकार अवैध कारोबार को लेकर कारवाई जारी रहेगी.


Reporter: Damodar Inaniya


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