डीडवाना: मुख्यमंत्री आशोक गहलोत ने अपनी बजट घोषणा में डीडवाना उपजिला अस्पताल को जिला अस्पताल बनाने की घोषणा की थी. जल्द ही चिकित्सा विभाग ने इसके आदेश भी जारी कर दिए और राज्य सरकार द्वारा घोषित अन्य जिला अस्पतालों के लिए तुरंत प्रभाव से ही नए पदों की भी घोषणा कर दी गई, लेकिन डीडवाना जिला अस्पताल के लिए एक भी नए पद का सृजन नहीं किया गया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यहां जिला अस्पताल के लिहाज से कोई नई मशीनरी या इक्विपमेंट भी नहीं लगवाए गए. यहां तक कि गत सरकार ने ट्रॉमा सेंटर और ओपीडी के लिए नई बिल्डिंग यहां बनवाई गई और कोरोनाकाल में चली एक मुहिम के जरिए तकरीबन 4 करोड़ की लागत से यहां जिले का सबसे बड़ा और आधुनिक आईसीयू वार्ड के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी विकसित की गई, लेकिन इसके बावजूद आजतक ना तो इस ट्रॉमा की अप्रूवल मिली है और न ही ट्रॉमा के नए पदों की भी जबकि डीडवाना में ट्रॉमा सेंटर की घोषणा बहुत पहले ही हो चुकी थी.


लोगों को इस बात का मलाल इस लिए भी है कि डीडवाना में ट्रॉमा की बिल्डिंग होने के साथ-साथ सभी सुविधाएं भी विकसित की गई, लेकिन अब तक चिकित्सा विभाग द्वारा इसे हरी झंडी नहीं मिली, जबकि कुचामन में गत बजट में ट्रॉमा की घोषणा हुई और अब नई बिल्डिंग का मुहूर्त किया जा रहा है, लेकिन ट्रॉमा के पदों का सृजन पहले से कर दिया गया है. 


हर रोज सैकड़ों मरीज कराते हैं इलाज


डीडवाना में प्रतिदिन 1000 के तकरीबन ओपीडी केवल बांगड़ अस्पताल में रहती है इसके अलावा शहरी क्षेत्र में बनी दो डिस्पेंसरी में भी प्रतिदिन सैकड़ों मरीज अपना इलाज करवाते हैं. यहां उपजिला अस्पताल के लिहाज से प्रयाप्त चिकित्सक भी है, लेकिन जिला अस्पताल की घोषणा के बावजूद चिकित्सकों के पद नहीं बढ़ाए गए, जिसकी वजह से मरीजों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है.


ओपीडी काउंटर और चिकित्सकों के चेंबर के बाहर प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की भीड़ नजर आती है. अगर यहां चिकित्सक बढ़ाए जाते हैं तो आमजन को इस भारी भीड़ से तो राहत मिलेगी ही बल्कि समय पर इलाज भी मिलेगा और साथ ही वर्तमान में कार्यरत चिकित्सकों का भी वर्क लोड काम होगा.


REPORTER- HANUMAN TANWAR