Kargil Victory Day today: कारगिल विजय दिवस आज है, नागौर के परबतसर उपखंड क्षेत्र के हरनावा गांव के शहीद मंगेज सिंह राठौड़ का जन्म 2 अक्टूबर 1958 में हुआ था,परिवार में तीन भाइयों में सबसे छोटे थे, मंगेज सिंह उन्होंने 10 वीं कक्षा पास करते ही संतोष कवर से उनका विवाह सम्पन्न हुआ.शहीद मंगेज सिंह के तीन पुत्र हैं.शहीद मंगेज सिंह 11 वीं राजपूताना राइफल्स बटालियन में सूबेदार पद पर तैनात थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शहीद मंगेज सिंह को 6 जून 1999 को 10 सैनिकों के साथ तुर्तुक क्षेत्र में भेजा गया. लेकिन जब मंगेज सिंह अपने सैनिकों के साथ वहां पहुंचे, तब उन्हें ज्ञात हुआ की उस क्षेत्र में सैकड़ों पाकिस्तान सैनिक व आटोमेटिक हथियारों से लैस था, मंगेज सिंह ने अपनी एलएमडी व मीडियम गन संभालते हुए टारगेट से 50 मीटर ही दूर ही थे, कि उनकी टुकड़ी पर ऑटोमेटिक हथियारों से अचानक फायरिंग हुई.


जिसमें 6 सैनिक घायल हो गए,और एक गोली मंगेज सिंह को भी लग गई. लेकिन जांबाज मंगेज सिंह ने बाकी बचे सैनिकों को तुरंत घायल सैनिकों को संभालने तथा वहां से ले जाने को कहा.


लेकिन साथी सैनिक घायल मंगेज सिंह को अकेला छोड़ने को तैयार नहीं थे,जिस पर मंगेज सिंह गुस्सा हुए कहा यह मेरा आर्डर है, तुम तुरंत घायल साथियों को लेकर चले जाओ और साथी सैनिकों को पीछे हटाया. घायल अवस्था में ही आगे बढ़े और बंकर के पीछे पाकिस्तान सैनिकों पर कई राउंड फायरिंग कर पाकिस्तान के 7 सैनिक ढेर कर दिए.6 जून 1999 को परिवारजनों को मंगेज सिंह के घर पर शहादत की सूचना मिली.


 सैनिकों को शहीद मंगेज सिंह का शव नहीं मिला


शहीद का शव युद्ध स्थल के बफीले इलाकों में सर्च आपरेशन के बाद भी सैनिकों को‌मगेज सिंह का शव‌ नहीं मिला.उधर परिजन घर पर शव का इंतजार में बैठे थे.इस दौरान शहीद की वीरांगना सन्तोष कवर ने कहा जब तक पति का मुंह नहीं देखूगी तब तक अन्न जल ग्रहण नहीं करूंगी और उपवास पर बैठ गई.


करीब 66 दिन तक चला सर्च ऑपरेशन


बाद में सैनिकों ने शहीद मंगेज सिंह का शव नहीं मिलने पर उच्च स्तर बैठक में सेना अध्यक्ष ने शव ढूंढने के लिए मंगेज आपरेशन चलाया और कमांडो फोर्स व सैनिक भेजे गए. करीब 66 दिन तक चले सर्च आपरेशन के बाद सेना को यानी 5 अगस्त 1999 को शहीद का शव मिला , 66 दिनों के बाद. उधर पति का शव नहीं मिले पर भूखी पासी बैठी वीरांगना सन्तोष कवर की उपवास की जानकारी मिलने के बाद 21वें दिन, तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत व विदेश मंत्री‌ वसुंधरा राजे खुद परबतसर- आकर वीरांगना को जूस पीलाकर अनशन‌ तूड़वाया , लेकिन वीरांगना ने पानी ही पीया अन्न ग्रहण नहीं किया.


66 दिन बाद पत्नी ने ग्रहण किया था अन्न


वहीं, शहीद का शव 66 दिन बाद शहीद मंगेज सिंह के गांव हरनावा पहुंचा ,बाद में कर्नल राजसिंह के नेतृत्व में इंजीनियरिंग कोर्स के जवानों ने गार्ड आफ आनर देकर अंतिम संस्कार किया गया.


 क्षेत्र का नाम भी मंगेज सिंह हरनावा के नाम पर


सरकार ने उस समय सहायता के लिए 5 लाख रुपए नगद ,एक पेट्रोल पंप आवंटित हुआ. जो वर्तमान में झोटवाड़ा के जयपुर में है, बड़े पुत्र को तहसील में कनिष्ठ लिपिक की नौकरी दी गई.स्कूल का नामांकरण शहीद के नाम से किया गया.वहीं, रोचक बात ये है कि जिस क्षेत्र में युद्ध हुआ वो, आज भारत के कब्जे में तथा उस क्षेत्र का नाम भी मंगेज सिंह हरनावा के नाम से जाना जाता है.


ये भी पढ़ें- Rajasthan BJP: राजस्थान में बीजेपी की बड़ी तैयारी, 1 अगस्त को अभियान तहत करेंगे सचिवालय का घेराव