Nagaur Deedwana News : होली एक ऐसा त्योहार है जिसे मनाने के देशभर में अलग अलग तरीके हैं. रंगोत्सव पर रंगों का तो अपना महत्व है ही लेकिन रंगों से सराबोर इस त्योंहार की हर जगह अलग परंपरा जुड़ी हुई है. ऐसी ही एक अनूठी परंपरा है डीडवाना के माली समाज की स्वांग गेर की. तस्वीरों में आप जो अलग अलग किरदार देख रहे हैं यह किसी नाटक कम्पनी के कलाकार नहीं बल्कि डीडवाना के माली समाज की गैर के किरदार हैं. यही माली समाज की गेर की खास पहचान है. नागौर जिले के डीडवाना मे होली का त्योहार एक ऐसी परंपरा के साथ मनाया जाता है जो कि भारत मे कहीं और नहीं मिलती. होली खेलने के बाद शाम को माली सैनी समाज के लोगों के आस पास के गांवों की 12 टीमें अलग अलग स्वांग रचकर आती है और सब एक जगह इकठ्ठे होते है. सबसे बढिया स्वांग रचने वाली टीम को पुरस्कृत किया जाता है. डीडवाना मे पिछले सैकड़ो साल से जारी इस अनूठी परम्परा का आयोजन और कही नहीं होता.


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पूरे नगर की परिक्रमा के लिए स्वांगधारियो की सभी टोलियां एक साथ निकलती है जिसे गेर कहा जाता है और बाजार से जब यह जुलूसनुमा गेर निकलती है तो हर समुदाय के लोग पलक फावड़े बिछाकर इसका स्वागत करते हैं. इसमें कुल 12 बासों यानी गांवों की गेरें होती है, जिनमें हजारों की संख्या में बच्चे बुढ़े जवान अलग-अलग स्वांग बनाकर निकलते हैं. हर टीम की कोशिश होती है कि उनकी परर्फोमेंस सबसे अच्छा रहे ताकि उन्हे खिताब मिल सके इसलिए टीम मेंबर बढिया से बढिया स्वांग रचने की कोशिश करते है.


इस गेर की तुलना कई बार ब्राजील के विश्वप्रसिद्ध कार्निवाल से भी की जाती है. लेकिन इसमें भारतीय संस्कृति का सम्मान रखा जाता है इसलिए यहां इसमें ब्राजिल की तरह फूहड़ता ना होकर भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है. माली समाज में यह अनूठी परम्परा सैंकड़ों सालों से चली आ रही है. ब्राज़ील के मशहूर कार्निवाल की तर्ज़ पर डीडवाना में भी होली कार्निवाल पिछले सेकड़ों सालों से मनाया जाता है. हजारो लोग इन स्वांग धारियों के कारनामे देखने दूर दूर से आते है. तो भी छते भी महिलाओ से अटी होती है. पूरा आयोजन लोग अपने स्तर पर ही करते है . लोग चाहते है की सरकार इस आयोजन को बढ़ावा देने के लिए कोशिश करे और इस आयोजन को राज्य पर्व का दर्जा दे.


तीज त्योंहार मेले और परम्पराएं हमारी भारतीय संस्कृति का संवाहक है बीते कुछ वर्षों में परम्पराओ में कमी आई है जरूरत इस बात की है कि सरकार इनका संरक्षण करे ताकि हम इनको आने वाली पीढ़ियों तक ले जा सके.