Degana: राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना उपखंड क्षेत्र के ग्राम जाखेड़ा में 1986 में बना आयुर्वेदिक हॉस्पिटल पिछले 4 वर्षों से भगवान भरोसे चलने को मजबूर पड़ा है, क्योंकि यह आयुर्वेदिक हॉस्पिटल पिछले चार सालों से बिना चिकित्सा अधिकारी और बिना डॉक्टर के चल रहा है. यहां केवल एक नर्स और एक परिचारक कार्यरत है, जिसकी वजह से बीमार ग्रस्त लोग कई किलोमीटर दूर इलाज करवाने के लिए मजबूर है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जाखेड़ा में 1986 में बना आयुर्वेदिक हॉस्पिटल 2017 तक ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ था क्योंकि यहां पूरे तहसील स्तर पर मरीजों को अच्छा इलाज मुहैया हो रहा था लेकिन पिछले 4 वर्षों से विभागीय अधिकारियों और राज्य सरकार की उदासीनता के चलते यह चिकित्सा केंद्र लुप्त होता जा रहा है, क्योंकि इस हॉस्पिटल में पिछले चार सालों से चिकित्सा अधिकारी की पोस्ट रिक्त होने की वजह से समय पर मरीजों को इलाज मिलना बंद हो गया, जिसकी वजह से दूर-दराज के हॉस्पिटल में इलाज करवाने के लिए जाना पड़ रहा है.


सरकार की उदासीनता और अधिकारियों की लापहरवाही का शिकार हुआ जाखेड़ा का आयुर्वेदिक हॉस्पिटल:
पिछले चार वर्ष से जाखेड़ा का आयुर्वेदिक हॉस्पिटल राज्य सरकार की उदासीनता और उच्च अधिकारियों की अनदेखी का शिकार होने की वजह से हॉस्पिटल में एक भी डॉक्टर नहीं है. साथ ही यहां के हॉस्पिटल में मात्र एक नर्स और एक परिचारक के अधीन ही चल रहा है जो उच्च अधिकारियों की लापहरवाही का सबूत दे रहा है.


हॉस्पिटल का भवन भी बना जर्जर, मरीजों को हो रही परेशानी:
जाखेड़ा का हॉस्पिटल पिछले कुछ वर्षों से जर्जर बना हुआ है जिसकी वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही हॉस्पिटल में पिछले एक साल से बिजली कनेक्शन भी नही लगा है. इस कारण हॉस्पिटल में लगी नर्स को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.


आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के जीर्णोद्धार के लिए अनेक बार लिखे जा चुके है पत्र व्यवहार:
हॉस्पिटल में लगी नर्स अंजू चौधरी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने आयुर्वेदिक विभाग को हॉस्पिटल जीर्णोद्धार के लिए अनेक बार पत्र-व्यवहार भी लिखे जा चुके है लेकिन उच्च अधिकारियों की सुनवाई नहीं की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सही चिकित्सा मुहैया भी नहीं हो पा रही है. आयुर्वेदिक हॉस्पिटल अधिकारियों की अनदेखी की वजह से दरवाजे तक टूटे पड़े हुए है, इस कारण हर दिन मेडिकल भी सुरक्षित नहीं रखी जा सकती है.


100 प्रकार की दवाइयां मिलनी चाहिए, लेकिन केवल 5-6 प्रकार की दवाई ही उपलब्ध:
आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में कम से कम 80 से 100 प्रकार की दवाइयां मिलनी चाहिए लेकिन वर्तमान समय में केवल 5-6 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध होने की वजह से भी मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


Report: Damodar Inaniya


यह भी पढ़ें - 20 साल पुरानी गौशाला में गायों को सड़ा चारा परोसा गया, 10 दिन में 100 गौवंश की मौत