Traditional Holi Gair Dance : लोक कला संस्कृति, परंपरा से अभिभूत होली का त्योहार प्रदेश के अलग अलग भागों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है , होली के त्यौहार के अवसर पर नागौर जिले के जायल मुंडवा, ईन्नाणा सहित आसपास के गांवों में होली की अलग ही पहचान है मारवाड़ की प्रसिद्ध होली गैर नृत्य जहां महिलाओं के वेश में पुरूषो द्वारा विशिष्ट डांडिया गैर नृत्य किया जाता है,जिसको देखने आसपास के लोगो सहित प्रवासी भी होली के अवसर पर गांव पहुंचकर गैर नृत्य का आनंद लेते है ,गैर नृत्य को लेकर यह भी कहा जाता है कि गैर-नृत्य के बिना मारवाड़ की होली अधुरी है .


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जायल ,मुंडवा इन्नाना आदि स्थानों पर होली के अवसर पर खेले जाने वाला डांडिया नृत्य राजस्थान लोक कला संस्कृति का अनूठा उदाहरण भी कहा जा सकता है, लोक कला संस्कृति, परंपरा से अभिभूत होली का त्योहार प्रदेश के अलग अलग भागों में विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है होली ऐसा पर्व जिसका लोगों का बेसब्री से इंतजार रहता है. रंग गुलाल के बीच मस्ती के बीच परम्पराओं का निर्वहन करने वाला होली त्यौहार कुरीतियों व बुराइयों का दहन कर आपसी भाईचारा को कायम रखना प्रमुख पहचान माना जाता है. होली एक ऐसा पर्व है, जिसपर गांव-गांव में अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती हैं. खासकर राजस्थान के मारवाड़ और शेखावाटी अंचल ऐसे क्षेत्र हैं. जहां ं होली की रंगत अलग ही होती है नागौर जिले के जायल ,मुंडवा इन्नाणा गांव में पुरषो द्वारा महिला का वेश बनकर खेला जाने वाला गैर नृत्य इसी की पहचान है. जहांं पुरषों द्वारा महिलाओं के कपड़े पहनकर घुघरू बांधकर गैर नृत्य किया जाता है.


 



होली के अवसर पर पुरषो द्वारा डंडियों की खन खनाट के साथ पूरी रात रंग बिरंगी रोशनी में गैर नृत्य किया जाता है. पुरषो द्वारा महिलाओं के कपड़े पहनकर विभिन्न प्रकार के स्वाग रचकर डांडिया नृत्य किया जाता है. रंगो का पर्व होली का नाम सुनते ही हर उम्र के व्यक्तियों के चेहरे पर खुशियां दिखने लगती हैं. देश के हर प्रदेश में होली का पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. मगर राजस्थान में होली मनाने का अलग ही अंदाज दिखता है. होली के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में कईं तरह के आयोजन किए जाते हैं. होली के विविध रंग देखने में आते हैं. राजस्थान की लोक परंपराओं और प्रथाओं में फाल्गुन मास के अल्हड़ लोकगीत और चंग की थाप अपना एक अलग ही महत्व रखते हैं. मारवाड़ में ग्रामीण आँचल में मनाये जाने वाले होली पर्व को डांडिया गेर चार चांद लगा देती होली पर्व पर दूरदराज बैठे प्रवासी भी इस त्यौहार पर होली खेलने के लिये आते है.


नागौर जिले में होली के अवसर पर खेला जाने वाला गेर नृत्य की धमक की अलग ही पहचान है गैर नृत्य में बेटा, बाप और दादा सहित तीन तीन पीढ़ियों का नृत्य एकसाथ देखा जा सकता है. जायल तहसील के सुवादिया बास, लीलण चौक, गुजरियावास ,कटौती,खिंयाला,ढेहरी,तरनाऊ,राजोद आदि स्थानों पर होली के पर्व पर अनूठी गैर का आयोजन होता है. वर्षो से चली आ रही इस परंपरा पर आधुनिकता का भी असर देखा जा सकता है जहां युवाओं द्वारा गैर नृत्य के बीच डीजे की धुन ओर चग की थाफ गैर नृत्य को चार चांद लगा देती है . मारवाड़ का गैर नृत्य आधुनिक युग के आज के माहौल में राजस्थान की लोक कला परम्पराओ को जीवित रखने का अनूठा उदाहरण है,प्रदेश कर अलग अलग भागों में. विभिन्न रूपो में डांडिया नृत्य खेला जाता है.