Rajasthan News: नागौर जिले के लाडनूं तहसील के तंवरा व लोडसर की पहाड़ियों में चल रहे अवैध खनन के कारण आमजन के जीवन पर संकट मंडरा रहा है. आए दिन हादसों के चलते आमजन में भय बना हुआ है. अवैध खनन क्षेत्र की खनन विभाग व स्थानीय प्रशासन पर मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं. यही कारण है कि अवैध खननकर्ता अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं और ग्रामीण लोगों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. 


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परेशान लोगों ने अब राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम उपखंड अधिकारी मिथिलेश कुमार को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें बताया गया कि यहां पर धड़ल्ले से अवैध खनन किया जाता है. अवैध खनन के दौरान बारूद से विस्फोट किया जाता है, जिसके पत्थर घरों तक पहुंच जाते हैं. लोगों के मकानों में दरारें पड़ चुकी है. धमाका इतना तेज होता है कि आमजन के साथ पशु पक्षी भी भयभीत हो जाते हैं. 



ग्रामीण हरिराम मेहरड़ा ने बताया कि तंवरा व लोडसर गांव में ताल की भूमि पर कब्जा करके उस पर भी धड़ल्ले से अवैध खनन करना शुरू कर रखा है. खनन माफियाओं ने ताल पर भी अवैध कब्जा कर रखा है, जिससे ताल की सैकड़ों बीघा जमीन का दुरुपयोग खुलेआम हो रहा है और प्रशासन सरासर अनदेखी कर रहा है. साथ ही सार्वजनिक भूमि, गोचर भूमि, ताल की भूमि आदि में जगह-जगह रास्ते बना लिए हैं. अवैध खनन के चलते 100 से 300 फीट तक गहरी खाईयां और खदाने बन गई और उनमें आवारा पशु गिर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई तक नहीं होती.



मेहरड़ा ने बताया कि अवैध खनन ही नहीं यहां अवैध तरीके से बने क्रेशर भी धड़ल्ले से चल रहे हैं, जिनके लिए कोई नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता. अगर प्रशासन चाहे तो इन क्रेशरों में से 50 प्रतिशत क्रेशर तत्काल बंद करवाये जा सकते हैं. इन क्रेशर मशीनों से भारी प्रदूषण भी हो रहा है. लोडसर, तंवरा, धां गांव सहित सभी गांवों में चौबीसों घंटे मिट्टी के बारीक कणों की धुंध फैली हुई रहती है, लेकिन राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, माइनिंग अधिकारी, उपखंड व जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी समेत कोई भी इसकी खैर-खबर तक नहीं लेते. प्रदूषण के कारण केवल तंवरा लोडसर ही नहीं आसपास के क्षेत्र के करीब 50 प्रतिशत ग्रामीण तक सिलिकोसिस आदि बीमारियों के शिकार बन रहे हैं. इसके अलावा हाल ही में दो-तीन दिन पहले एक खान में पास की सड़क सहित पूरी दीवार गिर गई थी. बहुत बार लोग खानों में गिर कर मरे भी हैं, क्रेशर में भी घायल हुए हैं, लेकिन ऐसे गरीब लोगों को मात्र 10-20 हजार रुपए देकर इन घटनाओं को दबा देते हैं. 



ग्रामीण मेघराज तंवर ने बताया कि तंवरा सुजानगढ़ जाने वाले रास्ते में एक पहाड़ी है. खनन के दौरान एक बाउंड्री वॉल भी बनी हुई थी, जिसको अब गिरा दिया गया है. अब रास्ता बंद हो चुका है. गोचर भूमि में जगह-जगह रास्ते बना दिए. तंवरा निवासी भवराराम मेघवाल ने बताया कि अवैध खनन से पूरा गांव दुखी है. अगर 10 दिन में कार्रवाई नहीं होती है तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा. बता दें कि माइनिंग विभाग के अधिकारियों की इस मामले में भूमिका संदिग्ध है. अधिकारियों को समय-समय पर जांच करनी चाहिए, लेकिन यहां पर तो बार-बार अवगत करवाने पर भी यह अधिकारी कार्रवाई नहीं करते. इधर इस मामले में एसडीएम मिथलेश कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की तरफ से ज्ञापन मिला है. माइनिंग व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम के द्वारा जांच करवा कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. 



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