Jayal,Nagaur: जायल महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय भवन पर उद्घाटन के बाद से ही ताले लटके हुए नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि नगरपालिका द्वारा 25 लाख रुपये की लागत से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में बने महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय भवन लोकापर्ण के 3 माह बाद भी सुचारू रूप से शुरू नही होने से धूल फांक रहा है.


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25 लाख रुपये की लागत से बने सार्वजनिक पुस्तकालय भवन का उद्घाटन 26 जनवरी 2023 को विधायक डॉ मंजू देवी मेघवाल द्वारा किया गया था ,लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय शुरू नहीं हो पाया जिसके चलते प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले सैकड़ों छात्रों को मजबूरी में निजी लाइब्रेरी में जाकर पढ़ाई करनी पड़ रही है.


पुस्तकों के लिए बजट की घोषणा नहीं


राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर में 25 लाख रुपये की लागते से बने महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय भवन उद्घाटन के तीन माह बाद भी विधिवत शुरू नहीं होने के चलते धूल फांक रहा हैय विद्यालय प्रधानाचार्य रफीक मोहम्मद छिपा ने बताया कि नगरपालिका ओर कलेक्टर मद से निर्मित महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय भवन अभी विद्यालय को नहीं सौंपा गया है. पुस्तकालय के लिये पुस्तक पुस्तिकाओं सहित विशेष बजट की घोषणा भी नहीं हुई है.


सार्वजनिक पुस्तकालय निर्माण के बाद जनसहयोग व शिक्षाविद के सहयोग से करियर मार्गदर्शन आदि की व्यवस्था भी अभी कोसो दूर है. सार्वजनिक पुस्तकालय के उद्घाटन के बाद भी बेरोजगार छात्रों को स्वाध्याय केंद्र पर पढ़ने का इंतजार है.


पच्चीस लाख लागत से जिला कलेक्टर स्वविवेक कोटे से बना सार्वजनिक पुस्तकालय


25 लाख रुपये की लागत से राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय परिसर में बने महात्मा गांधी सार्वजनिक पुस्तकालय में तत्कालीन जिला कलेक्टर जितेन्द्र कुमार सोनी ने जिला कलेक्टर स्वविवेक कोटे से 1500 स्कवेयर फिट में स्वाध्याय केन्द्र खोलने की स्वीकृति के बाद बने सार्वजनिक पुस्तकालय भवन में प्रतिदिन 90 विद्यार्थी बैठकर स्वाध्याय करने का सपना आज भी अधूरा नजर आ रहा है.


सैकड़ों छात्र निजी पुस्तकालय में पढ़ने को मजबूर


जायल कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों छात्र प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते है. सार्वजनिक पुस्तकालय उद्घाटन के बाद भी शुरू नहीं होने के चलते छात्रों को मजबूरन भारी भरकम फीस देकर निजी लाईब्रेरी का सहारा लेना पड़ रहा है.


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