नागौर में नवरात्र महोत्सव की दुआ प्रथा हुई संपन्न, दुआ प्रथा देखने उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
Nagaur News: शक्ति स्वरूपा मां ब्रह्माणी के चैत्र नवरात्र पारंपरिक एवं चमत्कारी दुआ प्रथा पंचमी की रात 10:00 बजे की महाआरती में अदृश्य शक्ति द्वारा गर्भ गृह में बैठकर चरणामृत के सहारे अपने नवरात्र पूरे कर रहे भक्त.
Nagaur News: शक्ति स्वरूप मां ब्रह्माणी के महापर्व नवरात्र महोत्सव की महा आरती में संपन्न होने वाली पारंपरिक एवं चमत्कारिक दुआ प्रथा देखने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. दुल्हन की तरह सजाए गए माता के दरबार में जय माता दी के गगनभेदी जयघोष से बने ममतामयी वातावरण में संपन्न हुई दुआ प्रथा के दौरान अदृश्य शक्ति द्वारा राजू शर्मा पुत्र शेराजी का नाम उच्चारित हुआ. सतमी के दिन मां ब्रह्माणी को राजू शर्मा के घर से बने प्रसाद का प्रथम भोग लगा कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाएगा.
शक्ति स्वरूपा मां ब्रह्माणी के चैत्र नवरात्र पारंपरिक एवं चमत्कारी दुआ प्रथा पंचमी की रात 10:00 बजे की महाआरती में अदृश्य शक्ति द्वारा गर्भ गृह में बैठकर चरणामृत के सहारे अपने नवरात्र पूरे कर रहे भक्त कृपाल शर्मा के मुख से शेरा जी के पुत्र राजू शर्मा का नाम उच्चारित कर दुआ प्रथा संपन्न हुई. दुआ प्रथा को देखने के लिए देशभर से भारी संख्या में श्रद्धालु ब्रह्माणी माता मंदिर पहुंचे और पारंपरिक एवं चमत्कारिक दुआ प्रथा संपन्न होने के साक्षी बने.
इस मंदिर में अमावस्या के दिन प्रसाद का भोग नहीं चढ़ता
फूल माला और विद्युत साज-सज्जा से दुल्हन की तरह सजाए गए मां ब्रह्माणी के दरबार का अलौकिक नजारा देखते ही बन रहा था खचाखच भरे मंदिर परिसर में मां के जयकारो ने समूचा माहौल ममतामयी बना दिया. पुजारी अमरचंद- मांगीलाल शर्मा ने बताया कि छठ की रात राजू शर्मा का परिवार गुप्त हवन संपन्न कर मेहंदी वितरित करेंगे तत्पश्चात सप्तमी को शुभ है राजू शर्मा के घर से आए प्रसाद का माता को प्रथम भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद चढ़ाने की अनुमति दी जाएगी. आपको बता दें कि केवल मात्र एक ब्रह्माणी माता का मंदिर ही है जहां अमावस्या के दिन घटस्थापना के साथ माता को प्रसाद भोग नहीं लगाया जाता.
इनके लिए है मंदिर परिक्रमा वर्जित
देशभर में नवरात्रा व्रत चैत्र एंव आसोज माह की एकम तिथि से घटस्थापना के साथ आरंभ किए जाते हैं मगर नागौर जिले के मेड़ता रोड स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर में घटस्थापना अमावस्या के दिन की जाती है तथा अमावस्या से सप्तमी तक माता को किसी प्रकार का प्रसाद भोग नहीं लगाया जाता है साथ ही इन दिनों में महिलाओं के लिए मंदिर परिक्रमा वर्जित रहती है.
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