Nagaur news: मेड़ता उपखंड की मेड़ता रोड ग्राम पंचायत के बामनावास स्थित नायकों की बस्ती में 14-15 मई को समान लक्षणों ( उल्टी बुखार और फिर मौत ) से एक के बाद एक हुई 3 बच्चों की मौतों से ना केवल उन 3 परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूटा था बल्कि इस घटना के बारे में सुनकर हर मां बाप की आंखें भी नम हो गई . संवेदनहीन प्रशासनिक तंत्र और लचर चिकित्सा व्यवस्था का शिकार हुए यह गरीब परिवार आज भी बच्चों के मौत का कारण जानने और प्रशासन के सहयोग की उम्मीद लगाए प्रशासन की राह ताक रहे हैं . ऐसे में देखा जाए तो प्रशासन का दोहरा चरित्र भी देखने को मिला है .


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 16 मई को समान लक्षण से मेड़ता के वार्ड संख्या 9 की अमर नगर कॉलोनी निवासी दयाल राम लोहार के पुत्र गोपाल की मौत हो जाने पर शनिवार को उपखंड अधिकारी पूरण कुमार मृतक बालक के परिवार से मिलने पहुंचे और पहल करते हुए भामाशाह से 31000 का सहयोग राशि प्रदान की गई. जबकि मेड़ता रोड में तीन मासूम बच्चों को इसी प्रकार से उपचार के अभाव में अपनी जान गवानी पड़ी फिर भी उपखंड अधिकारी प्रशासन गांव के संग शिविर में होते हुए भी इन तीन परिवारों से मिलने तक नहीं पहुंचे . 


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ज़ी मीडिया में 3 बच्चों की मौत की खबर प्रकाशन के पश्चात कागजी खानापूर्ति के चलते चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने गरीब परिवारों को चिरंजीवी बीमा योजना या अन्य किसी सरकारी अनुदान का लाभ देने प्रयास तक नहीं किया. पीड़ित परिवार ने प्रशासनिक तंत्र पर रोष जताते हुए चिकित्सा विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि चिकित्सा विभाग द्वारा अभी तक झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है जबकि मृतक बालिका लक्ष्मी को झोलाछाप डॉक्टर द्वारा अवधी पार ORS सहित बुखार की दवाई दी गई थी. 


जिसे ब्लॉक सीएमएचओ सुशील दिवाकर के साथ आई टीम द्वारा जब्त कर अपने साथ ले जाने की बात कही . उन्होंने यह भी कहा कि एक कागज पर ना जाने क्या लिखकर मेरा अंगूठा करवा लिया गया. ज़ी मीडिया मेड़ता रोड के तीन मासूम बच्चों की मौत के साथ साथ मेड़ता शहर के वार्ड संख्या 9 के वाशिंदे गोपाल की मौत के कारण पता कराने तथा उन परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने तक अपनी मुहिम इन सवालों के साथ जारी रखेगा कि आखिर इन 4 मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ? चिकित्सा विभाग की रैफर प्रणाली या उपचार का अभाव