नागौर: जिले से लगी चिंगारी ने अब पुरे प्रदेश भर में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. जी हां पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश चंद्र मीणा के नागौर दौरे के दौरान दिए गए बयानों को लेकर सरपंच लामबंद हो गए हैं . इसी को लेकर दो दिन पहले नागौर जिला मुख्यालय पर जिले की समस्त ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने एक दिवसीय सांकेतिक महापड़ाव किया था और प्रदेश भर की ग्राम पंचायतों के सांकेतिक तालाबंदी के साथ ही पाक्षिक मीटिंग का भी बहिष्कार किया.


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साथ ही आज तालाबंदी के दौरान ग्राम पंचायतो के कार्यों पर भी प्रभाव पड़ा है. वहीं, आगामी 25 जुलाई को जयपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन कर आगामी रणनीति तैयार की जायेगी. नागौर सरपंच संघ संरक्षक पुखराज काला ने बताया कि नागौर दौरे पर आए पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश चंद्र मीणा ने नागौर और बाड़मेर में बिना कोई तथ्यों के ही 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए नरेगा में किए गए विकास कार्यों का बजट रोकने की भी बात कही थी. वहीं, अलग अलग टीमें गठित कर ग्राम पंचायतों की अपने स्तर पर जांच करवा कर तालाबों पर विकास कार्य को निराधार बताया.


सरपंच संघों ने पूर्व मंत्री को मामले से कराया अवगत


एक तरफ नागौर जिले में पीने के पानी का भी स्रोत तालाब है और सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में मॉडल तालाब बनाने के दावे कर रही हैं वहीं दूसरी और पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश चंद्र मीणा द्वारा इस प्रकार की जांच करवाकर सरपंचों व ठेकेदारों के साथ अधिकारियों में भय पैदा कर रहे हैं. वहीं, नागौर सरपंच संघ जयपुर जाकर पूर्व नागौर प्रभारी मंत्री हरीश चौधरी, डेगाना विधायक विजयपाल मिर्धा से भी मुलाकात कर अपनी मांगों को रखा है . वही सरपंच संघ संरक्षक पुखराज काला ने बताया कि अगर पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश चंद्र मीणा जल्द ही अपना इस्तीफा नहीं देते हैं तो सरपंच संघ बड़ा आंदोलन करेगा.


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Reporter-Damodar Inaniya