कश्मीर में शहीद जवान की अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब, आखिरी बार दुलारते दिखे 80 साल के पिता, लोग नहीं रोक पाए आंसू
देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछील सेक्टर में पेट्रोलिंग के दौरान ड्यूटी करते समय अपनी जान कुर्बान करने वाले नागौर जिले के फिड़ौद गांव के सेना में जाट रेजिमेंट के सूबेदार बजरंग लाल को रविवार सुबह नागौर शहर सहित आस-पास क्षेत्र के लोग नम आंखों से अंतिम विदाई देने पहुंचे.
Nagaur: देश की सरहदों की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछील सेक्टर में पेट्रोलिंग के दौरान ड्यूटी करते समय अपनी जान कुर्बान करने वाले नागौर जिले के फिड़ौद गांव के सेना में जाट रेजिमेंट के सूबेदार बजरंग लाल को रविवार सुबह नागौर शहर सहित आस-पास क्षेत्र के लोग नम आंखों से अंतिम विदाई देने पहुंचे. तिरंगे में लिपट कर पहुंचे अपने लाडले को अंतिम विदाई देने हजारों लोग नागौर से फिड़ौद की और उमड़ पड़े.
देशभक्ति के जयकारों के बीच शहीद बजरंग लाल के बेटे लोकेश और भतीजे दिनेश ने मुखाग्नि दी. वहीं, शनिवार देर रात शहीद का पार्थिव देह नागौर पहुंचा जहां नागौर जेएलएन अस्पताल में रखवाया गया. जहां प्रशासन के अधिकारियों के साथ सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद रहे.
आपको बता दें कि सेना में जाट रेजिमेंट के सूबेदार बजरंग लाल डूकिया जम्मू कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के दुर्गम क्षेत्र माछिल सेक्टर में तैनात थे. 3 दिन पहले पेट्रोलिंग ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद बर्फबारी के चलते उनके शव को बेस कैंप लाना मुश्किल हो रहा था. आखिरकार शुक्रवार को उनके शव को बेस कैंप लाया गया. पार्थिव देह शनिवार सुबह 11 बजे सैन्य विमान से दिल्ली पहुंच गई. इसके बाद दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई थी. शनिवार देर रात पार्थिव देह नागौर पहुंचा, जिसे रविवार सुबह फिड़ौद गांव के लिए रवाना किया गया. इस दौरान जगह-जगह शवयात्रा पर शहरवासियों ने पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी.
नागौर से शहीद का पार्थिव देह को फिड़ौद ले जाने के दौरान 25 किलोमीटर लंबे सफर के दौरान हर सड़क के दोनों तरफ एकत्र बड़ी संख्या में लोगों ने नम आंखों से जाबांज को विदाई दी. हर जगह जोश से लबरेज लोगों ने पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए शहीद की पार्थिव देह पर पुष्पवर्षा की. गांव में शहीद का पार्थिव देह पहुंचने महिलाओं व ग्रामीणों ने शवयात्रा पर पुष्प वर्षा की. शहीद बजरंग लाल की पार्थिव देह फिड़ौद पहुंचने से पहले ही वहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच चुके थे.
गांव में हर तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे थे. हजारों लोगों की उपस्थिति में सेना का वाहन पार्थिव देह लेकर शहीद के घर पहुंचा. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी, नागौर विधायक मोहनराम चौधरी, खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जिलाध्यक्ष हनुमान भाकर सहित सहित कई जनप्रतिनिधि भी शहीद को नमन करने पहुंचे.
घर पर पार्थिव देह के परिजनों ने अंतिम दर्शन किए. शहीद की पत्नी और बेटे-बेटी के पार्थिव देह के पास पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया. वहीं, अपने शहीद बेटे को अंतिम बार दुलारते 80 साल के पिता को देख वहां मौजूद लोग अपने आंसू नहीं रोक पाए. घर पर कुछ रीति रिवाज किए जाने के बाद शहीद अपनी अंतिम यात्रा पर निकल गया. घर से थोड़ी दूरी पर राजकीय स्कूल के पास अंतिम संस्कार स्थल पर पर शहीद की पार्थिव देह को ले जाया गया.
अंतिम संस्कार स्थल पर शहीद को उनकी बटालियन से आए हुए सैन्य अधिकारियों और सैन्य जवानों ने शृद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी, नागौर विधायक मोहनराम चौधरी, नागौर पूर्व विधायक हब्बीबुर रहमान असरफी, समाजसेवी अर्जुन राम मेहरिया, पूर्व प्रधान राजेन्द्र फिड़ौदा, सुखराम फिड़ौदा, खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल और RLP जिलाध्यक्ष हनुमान भाकर, कांग्रेस युवा जिलाध्यक्ष हनुमान बांगडा, मूण्डवा नगरपालिका अध्यक्ष प्रत्याक्षी सुभाष कंदोई सहित सहित जिले के कई जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी जिला कलेक्टर पियुष समारिया, पुलिस अधिक्षक राममूर्ति जोशी, एडिशन एसपी राजेश मीणा, मूण्डवा तहसीलदार पेमाराम चौधरी, मूण्डवा थाना रिछपालसिंह सहित पुलिस जाब्ता व जवानों ने शहीद को शृद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया. इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ देशभक्ति नारो की गूंज के बीच शहीद बजरंग लाल का अंतिम संस्कार किया गया.
शहीद के सम्मान में गांव पूरी तरह से गांव मौजूद रहा. फिड़ौद निवासी बजरंग लाल के पिता प्रभुराम डूकिया किसान हैं. दो भाइयों में छोटे बजरंग लाल 1995 में इंडियन आर्मी की जाट रेजिमेंट में शामिल हुए थे. सूबेदार बजरंग लाल की वाइफ का नाम नैनी देवी हैं. बजरंग लाल का एक बेटा और एक बेटी है. बड़ी बेटी बिंदु 22 साल की है, नागौर में बीएड कर रही है. वहीं 19 साल का बेटा लोकेश नागौर से ही सेकेंड ईयर ग्रेजुएशन में पढ़ रहा है. सूबेदार बजरंगलाल एक महीने पहले ही छुट्टियां खत्म होने पर गांव से ड्यूटी पर लौटे थे. उन्हें बेटे-बेटी का रिश्ता तय करना था. वो ड्यूटी पर जाने से पहले बोल कर गए थे कि अब की छुट्टियों में आने पर वो ये काम करेंगे. इस दौरान शहीद को अंतिम विदाई के दौरान सब की आंखें नम रही.
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Report- Damodar Inaniya