Merta: देशभर में नवरात्र व्रत चैत्र व आसोज की एकम तिथि को घटस्थापना के साथ शुरू किए जाते हैं. मगर मेड़ता रोड स्थित ब्रह्माणी माता मंदिर में घट स्थापना अमावस्या के दिन का नवरात्र व्रत शुरू होते हैं, इस पावन मंदिर में विशेष परंपराओं के साथ नवरात्रा पर्व संपन्न किया जाता है.


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यूं कहे तो पूरे भारतवर्ष में नवरात्रा पर्व अपना विशेष महत्व रखता है. मगर ब्रह्माणी माता मंदिर के नवरात्र व्रत अपनी विशेष परंपराओं के चलते अलग पहचान बनाए हुए हैं. नागौर जिले के मेड़ता उपखंड के मेड़ता रोड स्थित प्राचीन ब्रह्माणी माता मंदिर में नवरात्र पर्व अमावस्या को घट स्थापना के साथ आरंभ किया जाता है, इस मंदिर की तीन विशेषताएं अन्य देवी मंदिरों से इसकी अलग पहचान बनाए हुए है.


यहां नवरात्रा पर्व की शुरुआत एकम की जगह अमावस्या के दिन होती है और अमावस्या से छठ तिथि तक माता को किसी प्रकार का प्रसाद भूख नहीं लगाया जाता और पंचमी की रात लगने वाली दुआ प्रथा देशभर में अपनी अलग पहचान बनाए हुए, देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दुआ प्रथा देखने के लिए मां के दरबार में पहुंचते हैं. इस प्रथा में माता के गर्भ गृह में चरणामृत के सहारे अपना नवरात्र व्रत पूरा कर रहे श्रद्धालु के मुख से एक अदृश्य शक्ति द्वारा अपने भक्तों का नाम उच्चारित किया जाता है.


उस भक्त के घर का बना प्रसाद का भोग माता को लगाने का सौभाग्य प्राप्त होता है, छठ के दिन विशेष हवन पूजन के साथ मां की विशेष आराधना की जाती है, इस मंदिर में अमावस्या से लेकर छठ तक महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है.


ब्रह्माणी माता मंदिर में घट स्थापना के दिन से प्रथम पांच आरती में अदृश्य शक्ति से श्रद्धालुओं में उत्पन्न भाव से चुनिंदा श्रद्धालु मां के गर्भ गृह में रहकर चरणामृत के सहारे अपने नवरात्रि व्रत पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, गर्भ गृह में बैठकर नवरात्रि व्रत करने वाले सभी भक्तों को सप्तमी के दिन मां के प्रसाद से व्रत खुलवाया जाता है.


REPORTER- DAMODAR INANIYAN