Pali: शहरी सरकार की ओर से रामासिया के निकट नई पाली (राजीव विहार) विकसित की गई. आवश्यक सुविधा मुहैए करवाने के नाम पर गत बोर्ड ने चार करोड़ से अधिक रुपये खर्च किए, लेकिन वर्तमान बोर्ड की अनदेखी के चलते राजीव विहार आज भी विरान है. इस योजना में 550 से अधिक भूखंड बिकने के बाद आज भी यह बदहाल है. 


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शहरी क्षेत्र में जनसंख्या के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए नगर परिषद के गत बोर्ड में रामासिया के निकट 14 करोड़ रुपये में नई पाली योजना (राजीव विहार) बसाने का प्लान बनाया था. इसके तहत 263.19 बीघा भूमि पर नगर परिषद 1130 भूखंड काटे, जिसमें हर वर्ग के आवेदकों के लिए अलग-अलग साइज के भूखंड थे. 


यहां आवश्यक सुविधा विकसित करने के नाम पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए गए. तीन अक्टूबर 2013 को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों इसका उद्घाटन करवाया गया था. योजना के तहत नगर परिषद ने लॉटरी निकाल कर करीब 550 भूखंड बेच भी दिए, लेकिन बोर्ड बदलते ही नई पाली को विकसित करने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई. भाजपा बोर्ड ने इसे विकसित करने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए. 


यह है वर्तमान स्थिति
वर्तमान में राजीव विहार रामभरोसे है. करोड़ों रुपये इसे विकसित करने के लिए खर्च किए गए, लेकिन इसकी रखवाली के लिए नगर परिषद एक चौकीदार तक नियुक्त नहीं कर सकी. आज कई रोड लाइटे गायब हो चुकी हैं. लॉन्चिंग पड़े और स्वागत द्वार तक क्षतिग्रस्त हो चुका है. यहां जगह-जगह झाड़ियां उगी गई है और बिजली के तार चोरी हो चुके हैं. 


राजीव विहार में यह हुआ था निर्माण
- स्वागत द्वार
- चारदीवारी
- सीरव लाइन
- मुख्य सड़क से गेट तक डामर सड़क
- राजीव विहार में पौधरोपण
- नाड़ी विकसित की गई
- सामुदायिक भवन
- विद्युत पोल, रोड लाइट
- बगीचे की चारदीवारी
- डब्ल्यूएमएम सड़क निर्माण
- नाला निर्माण
- कार्यालय भवन


सपना दिखाया था कि सुविधायुक्त कॉलोनी बनेगी
शहरवासियों को सपना दिखाया गया था कि नई पाली आवासीय योजना में रहने वाले लोगों के लिए जरूरत की हर सुविधा होगी, जिसमें चौड़ी सड़के, नाली, बिजली, सीवरेज, मुख्य सड़क 100 फीट चौड़ी, रोड लाइट, वाटर पार्क, उद्यान, अस्पताल, इनफोर्मल मार्केट एवं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना प्रस्तावित था. 


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शहरवासियों के सपनों पर कुठाराघात
पूर्व सभापति केवलचंद गुलेच्छा ने बताया कि राजीव विहार को लेकर शहरवासियों में खासा उत्साह था. 550 से अधिक भूखंड भी लॉटरी से बेच दिए थे. इसको विकसित करने पर चार करोड़ से अधिक रुपये व्यय किए थे. वर्तमान बोर्ड ने इसे बेसहारा छोड़ दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां एक भी परिवार नहीं बस सका. 


Reporter-Subhash Rohiswal


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Subhash Rohiswal