Sojat: सोजत के राजकीय अस्पताल में सेवारत डॉक्टर चिकित्सा विभाग को लम्बे समय से हर महीने लाखों रुपयों का चुना लगा रहे है, जिस पर रोक लगाने में सम्बंधित अधिकारी भी नाकामयाब हो रहे है. सोजत अस्पताल के करीब सभी डॉक्टर्स NPA यानी ''नोन प्रेक्टिस एलाउंस'' हर माह उठा रहे है और उसके बावजूद भी घर पर मरीजों को देखकर भारी फीस वसूल रहे है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मजे की बात तो यह है कि डॅाक्टर चिकित्सा प्रभारी को हर माह एक शपथ पत्र भी देते हैं जिसमें यह दर्शया जाता कि मैंने पिछले माह निजी स्तर पर कोई प्रेक्टिस नहीं की है जिनका मुझे NPA दिया जाए, जबकि रोजाना चिकित्सकों के आवास पर इलाज के लिए मरीजों की लम्बी कतार लगी रहती है. चिकित्सकों द्वारा यह भी दर्शाया जाता है कि घर पर इलाज के लिए आए मरीजों का ढंग से इलाज किया जाता है.


चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करें तो उन सभी डाक्टर्स को NPA के द्वारा दी गई तमाम राशी वसूल की जा सकती है. इसके अलावा कई चिकित्सकों की निजी अस्पतालों से सांठ-गांठ भी है जहां सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों को अपने आवास पर आकर दिखाने का अप्रत्यक्ष रूप से इंगित करते है.


गम्भीर मरीजों का ऑपरेशन राजकीय अस्पताल में संसाधनों का अभाव का हवाला देते हुए उन्हें स्थानीय निजी अस्पताल में भेज देते है और बाद में निजी अस्पताल के प्रभारी उन्हीं चिकित्सकों को बुलाकर उन मरीज का ऑपरेशन करवाते है, जिनके एवज में चिकित्सक को भारी फीस और कमीशन दिया जाता है जो पूर्णतया गैरकानूनी है. राजस्थान सरकार द्वारा मरीजों के लिए कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है.


सभी प्रकार के जांचे तक निशुल्क करवाई गई है लेकिन मशीनों में टेक्निकल समस्या बताकर मजबूरन परिजनों को बाहर से निजी लेबों पर जांच करवाने के लिए बजबूर होना पड़ता है. चिकित्सा विभाग के आला अधिकारियों की अनदेखी और बेरुखी से मरीजों और उनके परिजनों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है जबकि यहां के डॉक्टर मालामाल होते जा रहे है. भगवान के रूप में मानें जाने वाले इन चिकित्सकों की ऐसी करतूत से सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आए दिन मरीजों के साथ खिलवाड़ हो रहा है.


क्या है NPA
चिकित्सा विभाग ने एक आदेश में Finance Department के अनुसार Order No. F.6(3)FD/Rules/2008 जो कि 30 अक्टूबर 2017 को जारी हुआ और साथ में Order No. F(6)FD/Rules/2017 जो कि 1 जुलाई 2017 से लागू है, जिसमें यह दर्शाया कि अगर कोई डॉक्टर निजी स्तर पर मरीजों का इलाज नहीं करता तो उनके एवज में चिकित्सा विभाग उसकी सेलेरी का 20% राशी NPA (Non Prectice Allowance) के रूप में दिया जायेगा लेकिन सोजत अस्पताल में सेवारत 21 डॉक्टरों में मात्र ईका-दुका डॉक्टर के अलावा सभी डॉक्टर NPA की राशि उठा रहे हैं, इसके बावजूद भी खुलेआम डॉक्टर अपने निवास पर निजी प्रेक्टिस के जरिए मरीजों से लाखों रुपये फीस वसूल रहें हैं.


NPA मासिक भत्ता लेने वाले प्रत्येक डॉक्टर से माह की अन्तिम तारिख को अपने आवास पर मरीजों को नहीं देखने यानी निजी प्रेक्टिस नहीं करने का एक शपथ पत्र लिया जाता है, इसके बाद उनको NPA की राशी जारी होती है. भत्ता उठाने के बावजूद भी अपने आवास पर या निजी अस्पताल में प्रेक्टिस करना अपराध है.


सोजत में डॉक्टर निजी प्रेक्टिस करने के बावजूद अस्पताल से NPA भत्ता उठाने का मामला मेरे संज्ञान में अभी तक नहीं आया है. मरीज या कोई भी व्यक्ति डॉक्टर की निजी मरीज पर्ची सहित लिखित में शिकायत करता है तो उक्त डाक्टर का NPA मासिक भत्ता रोककर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.


शिक्षण स्टाफ चिकित्सा अधिकारियों को गैर-अभ्यास भत्ता का अनुदान, जो कोई भी निजी अभ्यास नहीं करने का विकल्प चुनते हैं को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने के अधीन गैर-अभ्यास भत्ता की अनुमति दी जाएगी.
1.) वह प्रत्येक माह निम्नलिखित गैर-व्यावसायिक प्रमाण-पत्र इस कार्यालय प्रमुख को प्रस्तुत करेगा, जो उसका मासिक वेतन और स्थापना वेतन भत्तों का आहरण करता है.
2.) वेतन बिलों के साथ ही यदि यह स्थापित हो जाता है कि एक शिक्षक चिकित्सा अधिकारी जिसने घोषणा दी है और गैर-तकनीकी भत्ता गैर-अभ्यास भत्ता प्राप्त कर रहा है, निजी प्रेक्टिस में लिप्त है और शुल्क प्राप्त करता है. इसलिए राजस्थान ताल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण और अपील नियम 1958) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत समय-समय पर संशोधित आपराधिक कार्रवाई और उसे अब तक भुगतान किए गए गैर-नैदानिक ​​​​भत्ते गैर-अभ्यास भत्ते की पूरी राशि वसूली योग्य होगी.


Reporter: Subhash Rohiswal


यह भी पढ़ें - 


बोरनाड़ी के मजदूर चंपालाल सुसाइड मामले में 2 दिन से चला आ रहा धरना देर रात हुआ समाप्त


अपने जिले की सभी खबरों के लिए यहां क्लिक करें